खदान के रास्तों का दलाली करने वाले बिचौली का काम खत्म सीधे किस को मिलेगा अब पैसा
अब तक टीवी चैनल जिला क्राइम ब्यूरो चीफ रन्नो सिंह फतेहपुर से
लोकसभा चुनाव के नतीजे मंत्रियों और विधायकों के कद नतीजे तय करेंगे। दूसरे दलों से लाकर भाजपा ने जिन नेताओं को पद-प्रतिष्ठा से नवाजा उन सबकी असल परीक्षा परिणाम से होगी।
लोकसभा चुनाव का शनिवार को अंतिम चरण पूरा होने के साथ ही सबकी नजरें चार जून को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। नतीजों से निकलने वाले संदेश बहुत कुछ तय करेंगे। चुनाव लड़ रहे केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों का कद तो तय होगा ही, मंत्री बनने का सपना देख रहे कई विधायकों की जमीन पर पकड़ भी सामने आएगी। Trending Videos
पार्टी ने चुनाव के मौके पर बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं को लाकर, पद व प्रतिष्ठा देकर जिन समीकरणों का ताना-बाना बुना, उस सबका कितना असर हुआ, इसका भी पता चलेगा।
ढाई महीने लंबे चुनाव अभियान के दौरान प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के कई महत्वपूर्ण फीडबैक सामने आए।
पहला, कई मंत्रियों व सांसदों की छवि जनता के बीच ठीक नहीं थी। पीएम मोदी के नाम पर लगातार दो चुनाव जीतने के बावजूद वे जनता से कटे रहे। जनता के बीच उनकी छवि भी बेहतर नहीं रही। संपत्ति बढ़ाने, परिवार व अपने लोगों को प्रधान से प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य से अध्यक्ष या विधायक तक पहुंचाकर ठेकेदारी के लाभ तक वे सीमित रहे।
फीडबैक के अनुसार ऐसे करीब 10 और सांसदों के टिकट कटने चाहिए थे। इनमें दो मंत्री भी थे। पर, पार्टी ने जनभावना की अपेक्षा टिकट कटने पर इनकी नाराजगी से होने वाले नुकसान को ज्यादा महत्व देते हुए फिर से मौका दे दिया। ऐसी कई सीटों पर कार्यकर्ता सुस्त पड़े रहे जिससे लड़ाई कठिन हुई।
दूसरा, कई जगह पार्टी ने सांसद का टिकट काटा, लेकिन उनके ही परिजन को दे दिया। इन सीटों पर भी पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में सुस्ती नजर आई। कार्यकर्ताओं में नाराजगी की वजह यही थी कि वे पार्टी का नहीं, बल्कि एक परिवार का झंडा उठाने को मजबूर किए जा रहे हैं।
मतदाताओं में भी यह सवाल रहा कि मोदी परिवारवाद पर खूब बोलते हैं, लेकिन अपनी पार्टी पर मौन क्यों हैं। ऐसी सीटों पर कई जगह भाजपा समर्थक मतदान के दिन घर से नहीं निकलने या नोटा दबाने की बात करते नजर आए। संकेतों के मुताबिक ऐसी सीटों पर लड़ाई नजदीकी मुकाबले में फंस सकती है।
दिग्गजों का भविष्य भी लिखेंगे ये नतीजे
यह चुनाव केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री व चंदौली से भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री स्मृति जूबिन इरानी, केंद्रीय मंत्री संजीव कुमार बालियान का भी कद तय करेगा। इन सभी को पार्टी ने फिर मौका दिया है। अपना दल की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तीसरी बार मैदान में हैं। नतीजा तय करेगा कि कुर्मी मतदाताओं के साथ-साथ भाजपा के परंपरागत माने जाने वाले वोटबैंक को वे अपने साथ रखने में कितना कामयाब रहीं।
भितरघात भी कम नहीं
प्रदेश के कई विधायक चुनाव से पहले ही मंत्रिमंडल विस्तार और मंत्री बनने का सपना देख रहे थे। मगर, उनकी उम्मीदों पर चुनाव तक विराम लग गया। इधर, चुनाव आया तो क्षेत्र में अलग-अलग वजहों से कई विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के भितरघात की बातें सामने आईं। कई जगह पता चला कि विपक्ष से सजातीय प्रत्याशी आया, तो विधायक निष्क्रिय हो गए।
जो दूसरे दल से लाए गए, उन्होंने कितना कमाल दिखाया
चुनाव से पहले दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी में शामिल किया गया। उन्हें महत्वपूर्ण पद दिए गए। कुशीनगर के पूर्व सांसद आरपीएन सिंह को पार्टी में शामिल कर राज्यसभा सांसद बनाया गया। इससे होने वाले नफा-नुकसान भी सामने आएंगे।
भाजपा का 'पन्ना' प्रयोग भी कसौटी पर
भाजपा ने यूपी में 2014 के चुनाव में पन्ना प्रमुखों की अवधारणा पर काम शुरू किया था। मतदाता सूची के प्रत्येक पन्ने पर पदाधिकारी तय किए गए। इस प्रयोग से मतदाताओं से संपर्क बढ़ाकर उन्हें पार्टी से जोड़ने और मतदान के दिन वोट डलवाने में बड़ी सफलता मिली। इससे पार्टी का वोट शेयर तेजी से बढ़ा। इस चुनाव में मतदान प्रतिशत ही कम रहा है। ऐसे में यह प्रयोग कितना कारगर रहा, इस पर भी सबकी निगाहें होंगी।
नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Instagram Twitter पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।
अब तक टीवी चैनल जिला क्राइम ब्यूरो चीफ रन्नो सिंह फतेहपुर से
चार जून की शाम शहजादे भी करेंगे साधना, गुफा की तलाश जारी
शहर में हुई हल्की बारिश से लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली
Leave a Comment: