धम्म का दीप जलाओ, क्योंकि वही मनुष्य को मनुष्य बनाता है
धम्म का दीप जलाओ, क्योंकि वही मनुष्य को मनुष्य बनाता है
अशोक सम्राट और दीपावली बौद्ध परंपरा के अनुसार, सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था। माना जाता है कि इसी समय के आसपास (अक्टूबर–नवंबर में) उन्होंने हिंसा का त्याग किया और “धम्म विजय” का संकल्प लिया। इस घटना को कुछ बौद्ध समुदाय “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं — यानी
बौद्ध परंपरा के अनुसार, सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था। माना जाता है कि इसी समय के आसपास (अक्टूबर–नवंबर में) उन्होंने हिंसा का त्याग किया और “धम्म विजय” का संकल्प लिया। इस घटना को कुछ बौद्ध समुदाय “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं — यानी अंधकार (अज्ञान) से प्रकाश (धम्म) की ओर यात्रा।
श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में दीपावली के समय के आसपास “इल पॉयया” (Ill Poya) नामक पर्व मनाया जाता है।
यह दिन बुद्ध के तावतिंस स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन की स्मृति में मनाया जाता है।
बुद्ध वहाँ अपनी माँ माया देवी को उपदेश देने गए थे और कार्तिक पूर्णिमा के दिन लौटे थे।
इस अवसर पर लोग दीप जलाते हैं — इसी कारण इसे दीपमालिका पर्व कहा जाता है।
बौद्ध धर्म में दीप का अर्थ है “ज्ञान का प्रकाश” — अर्थात अज्ञान (अविद्धा) का अंत और सम्यक दृष्टि का उदय।
इसलिए दीपावली को बौद्ध परंपरा में धम्म दीप जलाने का प्रतीक माना जाता है।
कई बौद्ध अनुयायी इस दिन बुद्ध वचनों का पाठ करते हैं, ध्यान लगाते हैं और अपने जीवन में धम्म का प्रकाश फैलाने का संकल्प लेते हैं।
कई नवबौद्ध समुदाय, विशेषकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी, दीपावली को “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं।
वे इस दिन अशोक और अम्बेडकर की शिक्षाओं को याद करते हैं और सामाजिक समानता, करुणा व प्रज्ञा के संदेश का प्रचार करते हैं।
| पक्ष | अर्थ |
|---|---|
| ऐतिहासिक दृष्टि | बुद्ध का स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन |
| दार्शनिक दृष्टि | अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर |
| सामाजिक दृष्टि | अशोक और अम्बेडकर के धम्म प्रचार की स्मृति |
| प्रतीकात्मक अर्थ | दीप = ज्ञान, करुणा, धम्म का प्रकाश |
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धम्म का दीप जलाओ, क्योंकि वही मनुष्य को मनुष्य बनाता है
आधुनिक भारत में धम्म दीपावली (अज्ञान से ज्ञान की ओर — करुणा, समता और प्रज्ञा का उत्सव) भूमिका: दीपावली का पारंपरिक अर्थ और उसका विस्तार भारत एक विविधताओं का देश है। यहाँ त्यौहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। दीपावली, जिसे परंपरागत रूप से
आधुनिक भारत में धम्म दीपावली (ज्ञान, करुणा और समता का प्रकाश) भारत विविध परंपराओं का देश है, जहाँ हर पर्व अपने भीतर गहरी सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना समेटे हुए है। दीपावली पारंपरिक रूप से अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व माना जाता है। किंतु आधुनिक भारत मे
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