“न्याय की लौ जलाकर ही अंधकार मिटेगा”
मेरे प्यारे देशवासियो,
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, यह एक संस्कृति का संदेश है — यह हमें बताती है कि हर युग में अंधकार का अस्तित्व केवल तब तक है, जब तक हम चुप हैं। जैसे ही हम अपने भीतर की लौ जलाते हैं, अन्याय का अंधकार खुद मिट जाता है।
आज देश क
“न्याय की लौ जलाकर ही अंधकार मिटेगा”
मेरे प्यारे देशवासियो,
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, यह एक संस्कृति का संदेश है — यह हमें बताती है कि हर युग में अंधकार का अस्तित्व केवल तब तक है, जब तक हम चुप हैं। जैसे ही हम अपने भीतर की लौ जलाते हैं, अन्याय का अंधकार खुद मिट जाता है।
आज देश को जरूरत है ऐसी ही सामूहिक रोशनी की। आज आवश्यकता है कर्म की दीपावली की — ऐसी दीपावली, जिसमें हर नागरिक अपने भीतर यह संकल्प जलाए कि अब वह अन्याय को देखकर चुप नहीं रहेगा।
मित्रो, जब भगवान राम ने अयोध्या लौटकर दीपावली मनाई थी, तब यह केवल विजय का उत्सव नहीं था, बल्कि यह लौटते हुए मूल्यों का स्वागत था। राम का आदर्श था — सत्य, मर्यादा और न्याय। आज जब भाजपा सरकार सत्ता के अहंकार में इन मूल्यों को भूल चुकी है, तब हमें इस दीपावली पर राम के आदर्शों को याद करना होगा, न कि उनके नाम पर राजनीति करने वालों को।
आज सत्ता में बैठे लोग “राम” के नाम पर राजनीति करते हैं, पर “रामराज्य” के अर्थ को भूल गए हैं। रामराज्य का अर्थ था — जहां गरीब भूखा न सोए, जहां किसान खुशहाल हो, जहां न्याय सबको समान रूप से मिले, और जहां शासन का आधार सत्य और सेवा हो।
लेकिन आज का भारत इससे बिलकुल विपरीत है। यहां सत्ता का अर्थ प्रचार हो गया है, सेवा का अर्थ सुविधा, और न्याय का अर्थ सत्ता की मर्जी।
मित्रो, मैं आपसे कहना चाहता हूँ — दीपावली का अर्थ केवल घर सजाना नहीं है, देश को सजाना है। और देश तभी सजेगा, जब उसके नागरिक जागरूक होंगे, जब वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे, जब वे सच्चाई की लौ को जीवित रखेंगे।
लोकतंत्र की रक्षा का आह्वान
लोकतंत्र को बचाना आज हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। भाजपा सरकार ने पिछले वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं को जिस प्रकार कमजोर किया है, वह हमारे लोकतंत्र की आत्मा के लिए खतरा है। आज संसद में बहस नहीं, केवल ताली बजती है। विपक्ष की आवाज को देशद्रोह कहा जाता है। पत्रकार सवाल पूछते हैं तो उन पर मुकदमे दर्ज होते हैं। क्या यही वह भारत है जो आज़ादी के लिए लाखों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर करके बनाया था?
मैं इस दीपावली पर देश के हर नागरिक से कहना चाहता हूँ — दीये जलाइए, लेकिन सवाल भी जलाइए। रोशनी कीजिए, लेकिन विवेक की भीजिए। लोकतंत्र तब तक जीवित रहेगा, जब तक जनता सवाल पूछती रहेगी।
हम सब जानते हैं — अंधकार केवल तब तक टिकता है, जब तक लोग अपनी आँखें बंद रखते हैं। जैसे ही आँखें खुलती हैं, प्रकाश अपने आप फैल जाता है।
किसान कांग्रेस का संकल्प
किसान कांग्रेस और मैं स्वयं, इस दीपावली पर यह संकल्प लेते हैं कि देश के हर कोने में किसान, मजदूर, व्यापारी और युवा की आवाज को बुलंद किया जाएगा। हम किसी पार्टी के विरोध के लिए नहीं, बल्कि नीतियों के सुधार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
हमारा उद्देश्य स्पष्ट है — भारत का किसान आत्मनिर्भर बने, भारत का मजदूर सम्मान से जिए, भारत का व्यापारी सुरक्षित महसूस करे, भारत का युवा अवसर पाए, और भारत का हर नागरिक यह महसूस करे कि यह देश उसका भी है।
हम जानते हैं कि यह मार्ग आसान नहीं है, लेकिन दीपावली का अर्थ ही यही है — अंधकार कितना भी गहरा हो, एक दीप पर्याप्त होता है।
हम वह दीप जलाएंगे — सत्य का दीप, न्याय का दीप, और समानता का दीप।
गरीब और वंचित वर्ग के लिए संदेश
मेरे देश के गरीब भाइयों और बहनों, मैं जानता हूँ कि इस दीपावली भी बहुत से घरों में तेल खरीदने तक के पैसे नहीं हैं, बहुत सी माताएँ अपने बच्चों को मिठाई नहीं दे पा रही हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूँ — निराश मत होइए। यह अंधकार स्थायी नहीं है। आपके संघर्ष की लौ ही वह शक्ति है, जो आने वाले समय में इस देश की दिशा बदलेगी।
सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन जनता की शक्ति स्थायी है। आज जरूरत है कि यह शक्ति संगठित हो। आपका संघर्ष, आपका साहस, और आपका श्रम — यही असली भारत है।
दीपावली का पर्व इसी आत्मविश्वास को जगाने का अवसर है। अंधकार को कोसने से बेहतर है — एक दीप जलाना। तो आइए, हर घर में केवल दीप ही नहीं, साहस की बात भी जलाएं।
महिलाओं की भागीदारी और सम्मान
मैं देश की माताओं और बहनों से भी कहना चाहता हूँ — आप समाज की सबसे बड़ी शक्ति हैं। आपके बिना कोई आंदोलन, कोई परिवर्तन संभव नहीं है। आज जरूरत है कि महिलाएँ भी आगे आएँ, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
महिलाओं की सुरक्षा, समानता और सम्मान केवल भाषणों में नहीं, नीतियों में झलकना चाहिए। किसान की पत्नी जो खेत में काम करती है, उसे भी किसान का दर्जा मिले; मजदूर की बेटी जो पढ़ना चाहती है, उसे शिक्षा का अवसर मिले — यही सच्ची दीपावली होगी।
भविष्य का विज़न — न्यायपूर्ण भारत
मित्रो, मेरा सपना है एक ऐसे भारत का — जहां कोई भूखा न सोए, जहां कोई बेरोजगार हाथ न रहे, जहां किसान आत्महत्या न करे, जहां महिलाओं को डर न हो, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य सबके अधिकार हों, जहां लोकतंत्र केवल किताबों में नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत में जीवित हो।
यह सपना तभी साकार होगा जब हम सब मिलकर एक नई रोशनी जगाएंगे — नीतियों की रोशनी। और यह रोशनी केवल विरोध से नहीं, विकल्प निर्माण से आएगी।
कांग्रेस का यही दर्शन रहा है — “सेवा, समानता और संघर्ष।” हम किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ रहे हैं।
दीपावली का पर्व हमें सिखाता है कि अंधकार कितना भी पुराना क्यों न हो, जब एक साथ हजारों दीप जलते हैं, तो पूरा वातावरण बदल जाता है। इसी तरह, जब देश के करोड़ों नागरिक एक साथ उठेंगे — किसान खेत से, मजदूर कारखाने से, व्यापारी दुकान से, युवा विश्वविद्यालय से — तब सत्ता को झुकना ही पड़ेगा।
अंतिम अपील
प्रिय देशवासियो, इस दीपावली मैं आप सबसे केवल एक प्रार्थना करता हूँ — दीप जलाएं, लेकिन न्याय की लौ भी जलाएं। मिठाई बांटें, लेकिन हक की बात भी करें। सजावट करें, लेकिन संविधान की आत्मा को भी सजाएं।
यह दीपावली केवल उत्सव की नहीं, संकल्प की दीपावली बने — अन्याय के खिलाफ, शोषण के खिलाफ, असमानता के खिलाफ, और अंधकार के खिलाफ।
हम सब मिलकर ऐसा भारत बनाएंगे — जहां किसान मुस्कुराए, जहां मजदूर गाए, जहां युवा सृजन करे, और जहां हर दीप न्याय का प्रतीक बने।
मित्रो, यह संघर्ष लंबा है, लेकिन जीत निश्चित है। क्योंकि इतिहास गवाह है — हर युग में अंधकार हारा है और प्रकाश जीता है। हर काल में अन्याय झुका है और सत्य उठा है।
इसी विश्वास के साथ, मैं आप सभी देशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आपके जीवन में खुशियों की रोशनी फैले, लेकिन उसके साथ-साथ समाज में भी न्याय और समानता की ज्योति जले — यही मेरी कामना है।
जय हिंद। जय किसान। जय संविधान।
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ता
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