अशोक सम्राट और दीपावली
बौद्ध परंपरा के अनुसार, सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था। माना जाता है कि इसी समय के आसपास (अक्टूबर–नवंबर में) उन्होंने हिंसा का त्याग किया और “धम्म विजय” का संकल्प लिया। इस घटना को कुछ बौद्ध समुदाय “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं — यानी
अशोक सम्राट और दीपावली
बौद्ध परंपरा के अनुसार, सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था। माना जाता है कि इसी समय के आसपास (अक्टूबर–नवंबर में) उन्होंने हिंसा का त्याग किया और “धम्म विजय” का संकल्प लिया। इस घटना को कुछ बौद्ध समुदाय “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं — यानी अंधकार (अज्ञान) से प्रकाश (धम्म) की ओर यात्रा।
2. लंकाई (श्रीलंका) और थेरवाद देशों में दीपमालिका
श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में दीपावली के समय के आसपास “इल पॉयया” (Ill Poya) नामक पर्व मनाया जाता है। यह दिन बुद्ध के तावतिंस स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन की स्मृति में मनाया जाता है। बुद्ध वहाँ अपनी माँ माया देवी को उपदेश देने गए थे और कार्तिक पूर्णिमा के दिन लौटे थे। इस अवसर पर लोग दीप जलाते हैं — इसी कारण इसे दीपमालिका पर्व कहा जाता है।
3. बौद्ध दृष्टि से ‘प्रकाश’ का प्रतीक
बौद्ध धर्म में दीप का अर्थ है “ज्ञान का प्रकाश” — अर्थात अज्ञान (अविद्धा) का अंत और सम्यक दृष्टि का उदय। इसलिए दीपावली को बौद्ध परंपरा में धम्म दीप जलाने का प्रतीक माना जाता है। कई बौद्ध अनुयायी इस दिन बुद्ध वचनों का पाठ करते हैं, ध्यान लगाते हैं और अपने जीवन में धम्म का प्रकाश फैलाने का संकल्प लेते हैं।
4. आधुनिक भारत में ‘धम्म दीपावली’
कई नवबौद्ध समुदाय, विशेषकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी, दीपावली को “धम्म दीपावली” के रूप में मनाते हैं। वे इस दिन अशोक और अम्बेडकर की शिक्षाओं को याद करते हैं और सामाजिक समानता, करुणा व प्रज्ञा के संदेश का प्रचार करते हैं।
संक्षेप में
पक्ष
अर्थ
ऐतिहासिक दृष्टि
बुद्ध का स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन
दार्शनिक दृष्टि
अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर
सामाजिक दृष्टि
अशोक और अम्बेडकर के धम्म प्रचार की स्मृति
प्रतीकात्मक अर्थ
दीप = ज्ञान, करुणा, धम्म का प्रकाश
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1. धनतेरस (पहला दिन)
महत्व:
इस दिन धनवंतरि देव का जन्म हुआ था, जो आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं।
लोग इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या नई वस्तु खरीदते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।
“धन” शब्द केवल धन-संपत्ति नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।
धार्मिक भावना:
स्वास्थ्य ही सच्चा धन
दीपावली का महत्व
दीपावली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र त्यौहार है। इसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है। यह त्यौहार हर साल अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जब पूरा अंधकार दीपों के उजाले से रोशन हो जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास और रावण वध के बाद अयोध्या लौटे थे
दीपावली : प्रकाश, धर्म और संस्कृति का महापर्व
प्रस्तावना
भारत उत्सवों की भूमि है। यहाँ हर मौसम, हर माह, हर धर्म और हर जाति में किसी न किसी पर्व का उल्लास देखने को मिलता है। इन सबमें दीपावली या दीवाली सबसे अधिक लोकप्रिय, व्यापक और गहन अर्थ वाला पर्व है। यह न केवल हिंदू धर्म का बल्कि समस्त
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