दीपावली : प्रकाश, धर्म और संस्कृति का महापर्व
प्रस्तावना
भारत उत्सवों की भूमि है। यहाँ हर मौसम, हर माह, हर धर्म और हर जाति में किसी न किसी पर्व का उल्लास देखने को मिलता है। इन सबमें दीपावली या दीवाली सबसे अधिक लोकप्रिय, व्यापक और गहन अर्थ वाला पर्व है। यह न केवल हिंदू धर्म का बल्कि समस्त
दीपावली : प्रकाश, धर्म और संस्कृति का महापर्व
प्रस्तावना
भारत उत्सवों की भूमि है। यहाँ हर मौसम, हर माह, हर धर्म और हर जाति में किसी न किसी पर्व का उल्लास देखने को मिलता है। इन सबमें दीपावली या दीवाली सबसे अधिक लोकप्रिय, व्यापक और गहन अर्थ वाला पर्व है। यह न केवल हिंदू धर्म का बल्कि समस्त भारतीय समाज का सांस्कृतिक प्रतीक बन चुका है। दीपावली का अर्थ है — दीपों की पंक्ति। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दीपावली का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण पर्व है।
दीपावली का धार्मिक महत्व
1. भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी
रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने 14 वर्षों का वनवास पूरा कर राक्षसराज रावण का वध किया, तब वे माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अपने-अपने घरों में घी के दीपक जलाए और पूरी नगरी को प्रकाशमय बना दिया। उसी दिन को दीपावली के रूप में मनाया गया। यह घटना केवल एक ऐतिहासिक प्रसंग नहीं बल्कि यह मानव जीवन के लिए गहन संदेश है — जब हम अपने भीतर की राक्षसी प्रवृत्तियों (अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह) का दमन करते हैं, तभी सच्चा "रामराज्य" हमारे मन में स्थापित होता है।
2. माता लक्ष्मी का पूजन
दीपावली की रात को माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष विधान है। लक्ष्मी जी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं, जबकि गणेश जी बुद्धि और सफलता के प्रतीक। धार्मिक मान्यता है कि दीपावली की रात लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो घर स्वच्छ, प्रकाशमय और पवित्र होता है, वहाँ निवास करती हैं। इसलिए दीपावली से पूर्व लोग अपने घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट करते हैं।
3. भगवान विष्णु और लक्ष्मी विवाह
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से जब माँ लक्ष्मी प्रकट हुईं, तो उन्होंने भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार किया। यह दिव्य विवाह भी दीपावली के दिन हुआ था। इसीलिए इस दिन को शुभ विवाह दिवस भी माना जाता है।
4. भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध
दीपावली से पहले आने वाले दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था। श्रीकृष्ण ने उन्हें मुक्त कराया और संसार को अत्याचार से मुक्ति दिलाई। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।
5. जैन धर्म में महत्व
जैन धर्म के अनुसार, दीपावली के दिन ही भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था। इसीलिए जैन समुदाय के लिए यह दिन मोक्ष दिवस के रूप में अत्यंत पवित्र है।
6. सिख धर्म में महत्व
सिख धर्म में दीपावली को “बंदी छोड़ दिवस” कहा जाता है। इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने मुग़ल सम्राट जहांगीर की कैद से स्वयं के साथ 52 राजाओं को भी आज़ाद कराया था। अमृतसर के हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में दीपमालिका इसी स्मृति में की जाती है।
दीपावली का सांस्कृतिक महत्व
भारत की संस्कृति “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना पर आधारित है — अर्थात् संपूर्ण विश्व एक परिवार है। दीपावली इस भावना को उजागर करती है। इस दिन जाति, धर्म, भाषा और प्रांत की सीमाएँ मिट जाती हैं। हर वर्ग, हर समुदाय के लोग एक-दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक दीपावली मनाते हैं।
1. सामाजिक एकता
दीपावली लोगों के बीच भाईचारा, सहयोग और सद्भाव की भावना को बढ़ाती है। अमीर-गरीब, उच्च-नीच, सभी एक साथ उल्लासपूर्वक दीप जलाते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।
2. आर्थिक गतिविधियाँ
दीपावली भारत की आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस अवसर पर बाजारों में नई वस्तुओं की बिक्री होती है, लोग नए कपड़े, बर्तन, गहने, वाहन आदि खरीदते हैं। व्यापारी वर्ग इस दिन अपने लेखा-बही (बहीखाता) की पूजा करता है, जिसे चोपड़ा पूजन कहा जाता है।
3. घर की सजावट और स्वच्छता
दीपावली से पूर्व लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। दीवारें रंगी जाती हैं, नए पर्दे और वस्त्र लगाए जाते हैं। यह परंपरा केवल बाहरी सफाई नहीं बल्कि आंतरिक शुद्धि का भी प्रतीक है।
4. कलात्मक अभिव्यक्ति
रंगोली बनाना, दीप सजाना, मंदिरों को सजाना, नाट्य मंचन (रामलीला) करना आदि कला और संस्कृति का उत्सव है। दीपावली भारतीय कला-संवेदना की सुंदर झलक प्रस्तुत करती है।
दीपावली का आध्यात्मिक अर्थ
दीपक केवल मिट्टी का बर्तन नहीं, बल्कि आत्मा का प्रतीक है। जैसे दीपक जलाकर हम अंधकार मिटाते हैं, वैसे ही ज्ञान और सदाचार का दीप जलाकर हम अपने जीवन से अज्ञान, लोभ, क्रोध, अहंकार को मिटा सकते हैं।
दीपावली हमें सिखाती है कि सच्चा प्रकाश भीतर से आता है — जब मन पवित्र, विचार शुभ और आचरण सच्चा हो, तभी जीवन प्रकाशित होता है।
दीपावली के पाँचों दिनों का महत्व
1. धनतेरस
धनतेरस का अर्थ है — धन का दिन। इस दिन धनवंतरि देव का जन्म हुआ था, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। इस दिन बर्तन, सोना, चाँदी, वाहन या नए वस्त्र खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)
इस दिन लोग स्नान कर शरीर पर तेल लगाते हैं और दीप जलाते हैं ताकि नकारात्मकता दूर हो। यह दिन मन, वचन और कर्म की शुद्धि का प्रतीक है।
3. दीपावली (मुख्य पर्व)
इस दिन भगवान राम की वापसी की स्मृति में दीप जलाए जाते हैं। लक्ष्मी और गणेश पूजन के साथ लोग नए वर्ष का स्वागत करते हैं। यह दिन आत्मा के आलोक और शुभता का प्रतीक है।
4. गोवर्धन पूजा (अन्नकूट)
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति में मनाया जाता है। लोग विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाते हैं और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
5. भाई दूज
इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं। बहनें तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। यह दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है।
दीपावली और पर्यावरण
हाल के वर्षों में दीपावली पर पटाखों के अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण को हानि पहुँची है। इससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए आज की आवश्यकता है कि हम पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाएँ —
मिट्टी के दीये जलाएँ,
प्राकृतिक रंगों से रंगोली बनाएँ,
बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दें।
सच्ची दीपावली वही है जो किसी को नुकसान न पहुँचाए, बल्कि सबके जीवन में उजाला फैलाए।
दीपावली का मनोवैज्ञानिक पक्ष
दीपावली केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि मन के अंदर उत्साह, ऊर्जा और आत्मविश्वास जगाने का पर्व है। जब घर रोशन होता है, तब मन भी प्रकाश से भर जाता है। यह पर्व मानसिक शांति, सामूहिक आनंद और सकारात्मकता को बढ़ाता है।
दीपावली और समाज सुधार
दीपावली हमें यह भी सिखाती है कि समाज में व्याप्त अंधकार — जैसे अज्ञान, अन्याय, भ्रष्टाचार, असमानता — को ज्ञान और सत्य के प्रकाश से दूर किया जाए। जिस प्रकार भगवान राम ने रावण का अंत कर धर्म की स्थापना की, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में अच्छाई का मार्ग अपनाना चाहिए।
विदेशों में दीपावली
आज दीपावली केवल भारत तक सीमित नहीं है। नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, फिजी, थाईलैंड, मलेशिया, ट्रिनिडाड, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में भी इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने भी दीपावली को अंतरराष्ट्रीय पर्व के रूप में मान्यता दी है।
दीपावली का दार्शनिक संदेश
दीपावली का सबसे बड़ा संदेश है —
"तमसो मा ज्योतिर्गमय" (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।)
यह उपनिषदों का सूत्र मानव जीवन के सार को प्रकट करता है। दीपावली हमें सिखाती है कि सच्चा दीप हमारे भीतर जलता है — वह दीप है ज्ञान, सत्य, करुणा और प्रेम।
निष्कर्ष
दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आदर्श जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाती है कि जैसे दीपक जलाकर हम घर को रोशन करते हैं, वैसे ही हमें अपने जीवन को सच्चाई, प्रेम, ईमानदारी और करुणा से प्रकाशित करना चाहिए।
इस पर्व का वास्तविक अर्थ है —
अंधकार को मिटाना,
ईर्ष्या और द्वेष को त्यागना,
अपने भीतर का प्रकाश जगाना,
और समाज में प्रेम व शांति फैलाना।
इसलिए दीपावली का संदेश है —
“प्रकाश फैलाओ, अंधकार मिटाओ, सत्य अपनाओ, सद्भाव जगाओ।”
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ChatGPT ने कहा:
दीपावली (Diwali) का महत्व
दीपावली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पावन त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। दीपावली केवल हिंदुओं का नहीं, बल्कि सभी भारतीयों के लिए खुशी, उत्साह और एक
दीपावली: प्रकाश, प्रेम और सद्भाव का पर्व
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दीपावली का सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
(एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण)
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