दीपावली: प्रकाश, प्रेम और सद्भाव का पर्व
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर पर्व अपने भीतर एक गहरा संदेश छिपाए हुए है। उन्हीं में से एक सबसे पावन और उल्लासपूर्ण पर्व है दीपावली — जिसे दीपोत्सव, दीपमालिका या दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुर
दीपावली: प्रकाश, प्रेम और सद्भाव का पर्व
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर पर्व अपने भीतर एक गहरा संदेश छिपाए हुए है। उन्हीं में से एक सबसे पावन और उल्लासपूर्ण पर्व है दीपावली — जिसे दीपोत्सव, दीपमालिका या दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
धार्मिक महत्व के अनुसार, दीपावली का संबंध भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी से है। जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण वध के बाद अयोध्या लौटे, तब नगरवासियों ने उनके स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया था। उसी दिन से दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन को माता लक्ष्मी की पूजा से भी जोड़ा जाता है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीप जलाते हैं ताकि धन, समृद्धि और सुख की देवी लक्ष्मी घर पधारें।
जैन धर्म में इस दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था। वहीं सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोबिंद जी की कारागार से रिहाई की स्मृति में “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार दीपावली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक एकता और विविधता में एकता का संदेश भी देती है।
सामाजिक दृष्टि से, दीपावली लोगों में प्रेम, सद्भाव और भाईचारे की भावना को मजबूत करती है। यह वह अवसर है जब परिवार, मित्र और पड़ोसी एक साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं। लोग पुराने मनमुटाव भुलाकर नए रिश्ते और नई शुरुआत करते हैं। दीपावली हमें यह भी सिखाती है कि जैसे दीपक अपने चारों ओर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन और समाज में सकारात्मकता और ज्ञान का प्रकाश फैलाना चाहिए।
आर्थिक दृष्टि से, दीपावली का समय व्यापारियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन नया लेखा-जोखा शुरू किया जाता है। बाजारों में रौनक होती है, खरीदारी बढ़ती है और हर ओर समृद्धि का वातावरण बनता है।
आध्यात्मिक रूप से, दीपावली हमें यह संदेश देती है कि वास्तविक प्रकाश बाहर के दीपों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर की अच्छाइयों में है। जब हम ईर्ष्या, अहंकार और द्वेष के अंधकार को मिटाकर सच्चाई, प्रेम और करुणा का दीप जलाते हैं, तभी दीपावली का वास्तविक अर्थ पूरा होता है।
अंततः, दीपावली केवल दीप जलाने का त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार मिटाने, ज्ञान फैलाने और मानवता को प्रकाशित करने का उत्सव है। यह पर्व हर हृदय में उजाला भरता है और जीवन में नई ऊर्जा, नई आशा और नई प्रेरणा जगाता है।
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दीपावली का सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
(एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण)
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प्रोपराइटर - श्री सत्यनारायण जोया व मुकेश जोया( पत्रकार)
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