दिल्ली में अवैध बस्तियों पर चल रहे बुलडोजर पर भाजपा-आप में तकरार जारी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि यह ध्वस्तीकरण अदालत के आदेशों के अंतर्गत किया जा रहा है, सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती। लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज इस पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि सरकार ने झुग्गियों की जगह नए मकान देने का वादा किया था। लेकिन वह झुग्गियों को तोड़ रही है। क्या झुग्गी-झोपड़ियों के टूटने पर यह राजनीति आम आदमी पार्टी को दिल्ली में एक बार फिर से नया राजनीतिक अवसर प्रदान कर सकती है?
अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा इसी तरह आम आदमी के मुद्दे उठाकर की थी। उन्होंने लोगों के बढ़े बिजली के बिल देने से साफ इनकार करवा दिया था और लोगों से यह वादा किया था कि सत्ता में आने पर वे बिजली के बिल माफ कर देंगे। वे बिजली के खंभों पर चढ़ गए और बिजली के तार काटने लगे। इसी तरह पानी और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे उठाकर उन्होंने अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया। वे सफल हुए और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।
दिल्ली की सत्ता से विदाई लेने के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली की राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी हर मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। कभी बिजली कटौती तो कभी पानी की सप्लाई, बारिश में पानी न निकलने पर वह प्रवेश वर्मा को घेरती है तो स्कूलों की फीस बढ़ने पर शिक्षा मंत्री पर हमले कर रही है। क्या आम आदमी पार्टी इन झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं को एक बार फिर अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो सकेगी।
दिल्ली की तस्वीर बदलकर जीतेंगे जनता का दिल
ये झुग्गी-झोपड़ी के मतदाता कभी केजरीवाल की राजनीति की धुरी बनकर उभरे थे, लेकिन पिछले चुनाव में जब भाजपा ने इन्हें अपने साथ जोड़ने की मुहिम चलाई तो केजरीवाल की 11-12 साल की राजनीति भरभरा कर गिर गई। इन्हीं मतदाताओं की कीमत पर भाजपा ने दिल्ली की सत्ता पाई है। ऐसे में वह इन मतदाताओं की कीमत खूब अच्छी तरह जानती है। वह इन्हें स्थाई तौर पर नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती। फिर भाजपा के पास प्लान क्या है?
विकसित दिल्ली के लिए ये करना होगा
दिल्ली की राजनीति के जानकारों का मानना है कि सरकार खूब सोची-समझी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है। वह दिल्ली को एक विकसित देश की राजधानी के तौर पर विकसित करना चाहती है। यदि दिल्ली को विकसित देश की राजधानी बनना है तो उसमें झुग्गियां कहीं भी फिट नहीं बैठती हैं। ऐसे में अदालत के आदेश से ही सही, इन्हें हटाया जाना तय है।
केंद्र सरकार पूरे देश में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध करा रही है। दिल्ली विधानसभा चुनावों के पहले भी केंद्र सरकार ने 4300 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली के लगभग 1700 गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराया था। जिन मद्रासी कैंप की बस्तियों को तोड़ा गया है, उनके गरीबों को भी दिल्ली सरकार ने आवास उपलब्ध कराया है।
विकास और वोट बैंक साथ-साथ
यानी आने वाले समय में भी भाजपा ऐसे गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराकर एक तरफ तो दिल्ली से झुग्गी-झोपड़ियों का सफाया करना जारी रखेगी, वहीं दूसरी तरफ उन्हें आवास उपलब्ध कराकर उसके पास गरीबों का दिल जीतने का प्लान भी तैयार है। सरकार की मंशा इस बात से भी साफ दिखाई देती है कि नरेला सहित जिन इलाकों में डीडीए के पास जमीनें उपलब्ध हैं, वहां पर इस तरह के निर्माण किए भी जा रहे हैं। आने वाले समय में ये गरीबों का नया ठिकाना बन सकते हैं।
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