मृतक गोविंद की पत्नी किरन व बच्चे         


जीवन ज्योति बीमा योजना के मुवाबजे के लिए बच्चो को लेकर बैंक के चक्कर काट रही मृतक आश्रित महिलाएं,वर्षो बाद भी नही मिला मुवाबजा

 

सन्दना इंडियन बैंक का मामला


सीतापुर संवाददाता।

फोटो 1:- मृतक गोविंद की पत्नी किरन व बच्चे
        
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जीवन ज्योति बीमा  को सरकार के ही कर्मचारी पलीता लगा रहै है एक तरफ बैंक मनमाने तरीके पैसे खाताधारकों के खाते से पैसे काट देते है दूसरी तरफ मृतक आश्रित को मुवाबजे के लिए बैंक के सालों साल चक्कर काटने पड़ते है ऐसे कई मामले है जिनमे बैंक की लापरवाही परिजनों पर भारी पड़ रही है।मृतक आश्रित महिलाएं बच्चो को गोद मे लेकर बैंक के चक्कर काटती रहती है और बैंक कर्मचारी कल आना,परसो आना कहकर मामला टाल देते है।मामले की शिकायत पीड़ित ने जोनल ऑफिस में की।उच्चाधिकारियों की फटकार के बाद बैंक मैनेजर मंशाराम ने दुबारा फार्म भरकर भेजने की कार्यवाही की। 

मृतक आश्रितों को लाभ पहुचने की नियत से सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्वाकांक्षी योजना जीवन ज्योति योजना को बैंक कर्मचारी ही पलीता लगाने में जुटे हुए है ऐसे ही मामला सन्दना स्थित इंडियन बैंक शाखा से जुड़ा हुआ है जिसमे छः माह पूर्व सैदापुर निवासी गोविंद की मौत हो गयी थी। जिनका 3039909 पॉलिसी के तहत दो लाख का बीमा था।मृतक की पत्नी किरन बताती है कि उनके दो बच्चे है जिनका पालन पोषण करना है।खेती नाम मात्र की है पति की मौत के बाद मुवाबजे कि राशि ही एक मात्र सहारा है जिसके मिलने से वह अपने बच्चो का पालन पोषण कर पायेगी।लेकिन बैंक मैनेजर मंशाराम के मनमाने रवैये के चलते छः माह से चक्कर लगाकर थक चुकी है।अब तक मुवाबजा नही मिला है और बैंक कर्मचारी भी ठीक तरीके से बात नही करते।मामले की शिकायत बीते मंगलवार को जोनल ऑफिस में पीड़ित किरन ने की थी ।जिसके बाद आनन फानन में बैंक मैनेजर इंडियन बैंक शाखा सन्दना मंशाराम ने पीड़ित को बुलाकर दुबारा फार्म भरकर भेजने की कार्यवाही की लेकिन मुवाबजे का पता नही कब तक मिले।

मामले में आर एम इंडियन बैंक सीतापुर अभिलिखित कौशल से बात की गई तो बताया कि ज्यादा खाता व ब्रांचे होने के चलते ध्यान नही दे पाते।पीड़ित को हमारी पास भेज दीजिये समस्या का समाधान किया जाएगा।

क्या है नियम
जीवन ज्योति बीमा योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है जिससे गरीब मृतक आश्रितों को लाभ दिलाने का लक्ष्य है।बैंक 436 रुपये वार्षिक स्वतः काट लेती है।जिसमे दुर्घटना बीमा दो लाख का होता है।दुर्घटना के बाद तीन माह के भीतर ही लाभार्थी को दो लाख रुपये मुवावजा देने का प्रावधान है।
संवाददाता अनुज अग्निहोत्री

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