यहाँ “बहुजन संगठक” समाचार पत्र के प्रमुख लेख, नारे और बहुजन आंदोलन पर उनका प्रभाव को विस्तृत टेबल के रूप में प्रस्तुत किया गया है: समयावधि प्रमुख लेख प्रमुख नारे / संदेश बहुजन आंदोलन पर प्रभाव 1978-1980 दलित और पिछड़े समाज का संघर्ष शोषितों को संगठित करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का आह्वान ब


यहाँ “बहुजन संगठक” समाचार पत्र के प्रमुख लेख, नारे और बहुजन आंदोलन पर उनका प्रभाव को विस्तृत टेबल के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

समयावधिप्रमुख लेखप्रमुख नारे / संदेशबहुजन आंदोलन पर प्रभाव
1978-1980दलित और पिछड़े समाज का संघर्षशोषितों को संगठित करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का आह्वानबहुजन समाज में पहली बार खुली राजनीतिक और सामाजिक चर्चा; संगठन की नींव रखी गई
1981-1985शिक्षा: परिवर्तन की कुंजी 
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण है संकल्प – शिक्षा, सुरक्षा और समान अधिकारशिक्षा के महत्व की समझ बढ़ी; महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी बढ़ी
1986-1990किसानों और मजदूरों का अधिकारकिसान की इज्जत का सवाल – राजेश कुमार सिद्धार्थ का साथ अपारग्रामीण बहुजन समाज में कृषि और रोजगार के अधिकारों के प्रति जागरूकता; स्थानीय आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी
1991-1995राजनीतिक जागरूकता और संगठित संघर्षशोषितों का संगठित संघर्ष ही परिवर्तन का रास्ता हैबहुजन समाज ने राजनीतिक दलों और चुनावों में सक्रिय भागीदारी बढ़ाई; संगठनात्मक मजबूती आई
1996-2000पुनरावलोकन लेख: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारयुवा है देश की शक्ति – स्वरोज़गार और शिक्षा हमारी प्राथमिकताBAMCEF और DS-4 जैसे संगठनों के माध्यम से व्यापक स्तर पर जागरूकता; बहुजन आंदोलन में वैचारिक एकता आई

इस टेबल से स्पष्ट होता है कि “बहुजन संगठक” समाचार पत्र ने समय के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जागरूकता फैलाने में लगातार योगदान दिया।

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