“बहुजन संगठक” समाचार पत्र मान्यवर कांशीराम साहब के नेतृत्व में प्रकाशित हुआ। यह पत्र 1970 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य था दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज (बहुजन समाज) को संगठित करना और उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना। इस पत्र के माध्यम से बहुजन आंदोलन की विचारध


“बहुजन संगठक” समाचार पत्र मान्यवर कांशीराम साहब के नेतृत्व में प्रकाशित हुआ।

यह पत्र 1970 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू हुआ।

इसका मुख्य उद्देश्य था दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज (बहुजन समाज) को संगठित करना और उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना।

इस पत्र के माध्यम से बहुजन आंदोलन की विचारधारा और संघर्ष लोगों तक पहुँचा।

2. उद्देश्य

जनजागरण: बहुजन समाज में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता फैलाना।

समानता और अधिकार: सामाजिक भेदभाव, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाना।

राजनीतिक एकता: बहुजन समाज को संगठित कर राजनीति में प्रभाव बढ़ाना।

शिक्षा और सूचना: समाज के निचले वर्ग के लोगों तक शिक्षा, कानूनी अधिकार और सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुँचाना।

3. प्रमुख विषय और लेख

जाति आधारित भेदभाव और उसके खिलाफ आंदोलन

किसानों और मजदूरों के हक़ की बातें

महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के मुद्दे

सरकारी योजनाओं और नीतियों की समीक्षा

सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में संघर्ष

4. प्रमुख नारे और संदेश

“बहुजन समाज की आवाज़, अब तक की सबसे बड़ी ताकत।”

“शोषितों का संगठित संघर्ष ही परिवर्तन का रास्ता है।”

“युवा है देश की शक्ति – स्वरोज़गार और शिक्षा हमारी प्राथमिकता।”

“महिला सशक्तिकरण है संकल्प – शिक्षा, सुरक्षा और समान अधिकार।”

“किसान की इज्जत का सवाल – राजेश कुमार सिद्धार्थ का साथ अपार।”

5. ऐतिहासिक महत्व

यह पत्र केवल सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि बहुजन आंदोलन का वैचारिक हथियार था।

इसके माध्यम से कांशीराम जी के विचार, संगठन और रणनीतियाँ समाज के निचले तबके तक पहुँच पाईं।

बहुजन संगठक ने बहुजन समाज में सामाजिक चेतना और राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

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