यह केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है। यदि एक कलमकार सुरक्षित नहीं, तो कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं
प्रयागराज से दिल दहलाने वाली खबर: वरिष्ठ पत्रकार एल.एन. सिंह की नृशंस हत्या, कानून व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
प्रयागराज। संवाददाता। संगम नगरी प्रयागराज एक बार फिर खून से लाल हो गई। सिविल लाइंस इलाके में बुधवार देर रात प्रसिद्ध पत्रकार एल.एन. सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल प्रयागराज बल्कि पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। पत्रकारिता जगत शोक में डूब गया है और आम जनता में आक्रोश व्याप्त है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, बुधवार की रात लगभग 9:30 बजे के आसपास पत्रकार एल.एन. सिंह अपने घर के पास टहल रहे थे। तभी बाइक सवार दो युवकों ने उन पर अचानक चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने उन पर लगातार 20 से 25 वार किए। गंभीर रूप से घायल एल.एन. सिंह ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
हमले के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन जब तक पुलिस पहुंची, पत्रकार की मौत हो चुकी थी।
पत्रकार की पहचान और कार्यशैली
एल.एन. सिंह पत्रकारिता जगत में एक जाना-माना नाम थे। उन्होंने दो दशक से अधिक समय तक कई बड़े समाचार चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए काम किया था। वे अपने बेबाक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे। उनकी कलम हमेशा गरीबों, वंचितों, और पीड़ितों की आवाज़ बनकर उठती थी। हाल के महीनों में उन्होंने प्रयागराज और आस-पास के जिलों में भ्रष्टाचार, जमीन कब्जा और अपराधियों की गतिविधियों पर कई रिपोर्टें प्रकाशित की थीं।
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि एल.एन. सिंह को कुछ समय से धमकियाँ मिल रही थीं, जिसकी उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी थी, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
आरोपी विशाल मुठभेड़ में घायल
घटना के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। देर रात तक चले अभियान के दौरान पुलिस ने मुख्य आरोपी विशाल को मुठभेड़ में घायल अवस्था में गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए फायरिंग की, जिसके जवाब में हुई मुठभेड़ में वह घायल हो गया। उसे इलाज के लिए एसआरएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
कानून व्यवस्था पर उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब प्रयागराज में किसी सामाजिक या पत्रकार वर्ग के व्यक्ति की हत्या हुई हो। हाल ही में दलित युवक रवींद्र कुमार की हत्या ने पहले ही कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया था। अब पत्रकार की हत्या से यह साफ है कि अपराधियों में कानून का कोई भय नहीं रह गया है। स्थानीय नागरिकों ने कहा कि प्रशासन अपराध रोकने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है।
पत्रकार संगठनों का आक्रोश
प्रयागराज प्रेस क्लब, उत्तर प्रदेश पत्रकार संघ और अन्य मीडिया संगठनों ने एल.एन. सिंह की हत्या की कड़ी निंदा की है। पत्रकार संगठनों ने कहा —
“यह केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है। यदि एक कलमकार सुरक्षित नहीं, तो कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं।”
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश कर कठोर सजा दी जाए और मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
परिवार का दर्द और प्रशासन की चुप्पी
मृतक के भाई ने बताया कि एल.एन. सिंह को पिछले एक सप्ताह से धमकी भरे फोन आ रहे थे, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। “भाई ने सच्चाई लिखी थी, झूठे लोगों से नहीं डरे। लेकिन सिस्टम ने उनकी सुरक्षा नहीं की,” परिवार ने रोते हुए कहा।
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। जिले के वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे, लेकिन लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
जनता का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन
हत्या की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक सिविल लाइंस थाने के बाहर एकत्र हो गए। लोगों ने जमकर नारेबाजी की — “पत्रकार की हत्या बंद करो!”, “अपराधियों को फांसी दो!” मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
राजनीतिक हलचल
घटना पर विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ट्वीट कर कहा —
“जब पत्रकार सुरक्षित नहीं, तो आम जनता की क्या सुरक्षा होगी? प्रदेश जंगलराज में बदल गया है।”
वहीं सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि “दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”
पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
देशभर के वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने शोक व्यक्त किया है। वरिष्ठ संपादक राजेश मिश्र ने कहा —
“एल.एन. सिंह जैसे निर्भीक पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ होते हैं। उनकी हत्या एक बड़ी क्षति है। सरकार को इस पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।”
न्याय की मांग और भविष्य की चुनौती
यह घटना पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार और पुलिस तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक “मीडिया सुरक्षा अधिनियम” जैसा ठोस कानून नहीं बनेगा, तब तक ऐसी घटनाओं को रोकना मुश्किल रहेगा।
समापन विचार
प्रयागराज में हुई यह दर्दनाक घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि सच्चाई और निष्पक्ष पत्रकारिता पर एक गहरा प्रहार है। एल.एन. सिंह की कलम भले ही अब शांत हो गई हो, लेकिन उनके विचार और पत्रकारिता के सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
रिपोर्ट: अब तक इंडिया लाइव न्यूज़ चैनल संपादक:राजेश कुमार सिद्धार्थ कार्यालय: सिमरा गौढ़ी (खदरी), सीतापुर रोड, लखनऊ – 226013
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