: राजेश कुमार सिद्धार्थ
राष्ट्रीय अध्यक्ष – डॉ. आंबेडकर संवैधानिक महासंघ
प्रदेश उपाध्यक्ष – किसान कांग्रेस
दिनांक: 23 अक्टूबर 2025
स्थान: लखनऊ
ब्राह्मणवादी तत्वों की कुत्सित चाल — बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को कमतर दिखाने का असफल प्रयास
लखनऊ।
डॉ. आंबेडकर संवैधानिक महासंघ के र
: राजेश कुमार सिद्धार्थ राष्ट्रीय अध्यक्ष – डॉ. आंबेडकर संवैधानिक महासंघ प्रदेश उपाध्यक्ष – किसान कांग्रेस दिनांक: 23 अक्टूबर 2025 स्थान: लखनऊ
ब्राह्मणवादी तत्वों की कुत्सित चाल — बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को कमतर दिखाने का असफल प्रयास
लखनऊ। डॉ. आंबेडकर संवैधानिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार सिद्धार्थ ने कहा है कि कुछ ब्राह्मणवादी तत्वों द्वारा यह मिथक फैलाया जा रहा है कि भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर नहीं, बल्कि बी.एन. राव थे — यह पूरी तरह झूठ और तथ्यों से परे है।
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 को बाबा साहब डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान को राष्ट्र को समर्पित किया था। भारत सरकार ने उनके 125वें जयंती वर्ष (2015) में 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित कर उनके योगदान को औपचारिक मान्यता दी।
संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में डॉ. आंबेडकर ने मात्र 2 वर्ष 11 माह और 18 दिनों में संविधान का मसौदा तैयार किया, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यद्यपि संविधान सभा में लगभग 300 सदस्य सक्रिय थे, फिर भी भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में डॉ. आंबेडकर की भूमिका को सभी सदस्यों और विद्वानों ने स्वीकारा।
राजेश कुमार सिद्धार्थ ने कहा —
“संविधान निर्माण के दौरान बाबा साहब ने न केवल कानूनी दृष्टि से मार्गदर्शन दिया, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज को समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुता के सूत्र में बांधने की वैचारिक दिशा दी। उन्हें संविधान का ‘मुख्य वास्तुकार’ कहना केवल सम्मान नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सत्य है।”
उन्होंने कहा कि संविधान सभा के सदस्य टी.टी. कृष्णाचारी ने स्वयं स्वीकारा था कि संविधान का सम्पूर्ण भार डॉ. आंबेडकर के कंधों पर था (संविधान सभा वृतांत, खंड-7, पृष्ठ-231)। इसी प्रकार माइकेल ब्रेचर, गेल ओमवेट और क्रिस्तोफ जाफ्रलो जैसे अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने भी यह प्रमाणित किया है कि आंबेडकर ने संविधान को आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक स्वरूप देने में निर्णायक भूमिका निभाई।
राजेश कुमार सिद्धार्थ ने आगे कहा कि —
“डॉ. आंबेडकर के बिना भारतीय संविधान गांधीवादी प्रभाव से मुक्त और आधुनिक लोकतंत्र की नींव नहीं बन सकता था। संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता, बंधुता और न्याय के आदर्श उनके विचारों की ही उपज हैं। आज जब कुछ ताकतें संविधान की आत्मा को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं, तो हमें उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाना होगा।”
अंत में उन्होंने कहा कि संविधान का मूल्यांकन केवल उसके प्रावधानों से नहीं, बल्कि उसे लागू करने वाले शासकों के आचरण से होता है। बाबा साहब ने चेताया था कि “संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसे चलाने वाले बुरे हैं, तो संविधान भी बुरा सिद्ध होगा।”
राजेश कुमार सिद्धार्थ ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे संविधान की रक्षा और डॉ. आंबेडकर के विचारों के प्रसार को अपना नैतिक कर्तव्य मानें।
प्रेषक: राजेश कुमार सिद्धार्थ राष्ट्रीय अध्यक्ष – डॉ. आंबेडकर संवैधानिक महासंघ प्रदेश उपाध्यक्ष – किसान कांग्रेस
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