Navratri kanya pujan 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. नवरात्रि के दिनों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दुर्गा अष्टमी और नवमी तिथि मानी जाती है. दुर्गा अष्टमी और नवमी पर मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और कन्याओं को भोजन कराकर नवरात्रि के व्रत का समापन किया जाता है. कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही नवरात्रि के व्रत पूर्ण माने जाते हैं. कुछ लोग दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन कर नवरात्रि के व्रत का समापन करते हैं तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इस बार नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और नवमी की तिथियों को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बना हुआ है. इस बार दुर्गा अष्टमी और नवमी की सही डेट क्या है? क्या इस बार दुर्गा अष्टमी और नवमी एक ही दिन हैं, इसी को लेकर ज्योतिषाचार्य एवं टैरो कार्ड रीडर डॉ.अरुणेश कुमार शर्मा से जानते हैं कि कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है.
कब है दुर्गा अष्टमी और नवमी ( Durga Ashtami & Navami 2024 Date)
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा. 11 अक्टूबर को ही अष्टमी और नवमी का कन्या पूजन किया जाएगा. उदया तिथि के अनुसार इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. इस अनुसार कन्या पूजन 11 अक्टूबर को किया जाएगा.
अष्टमी और नवमी पर इस दौरान करें कन्या पूजन (Ashtami Aur Navami 2024 Kanya Pujan Muhurat)
ज्योतिषाचार्य डॉ.अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार, अष्टमी तिथि कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 11 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 44 मिनट से लेकर 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. वहीं नवमी तिथि का कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त की शुरुआत भी इसी दिन 2 बजे से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इसके अलावा एक मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक भी रहेगा. इस मुहूर्त में भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
नवरात्रि पर कन्या पूजन कैसे करें?
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. माना जाता है कि कन्याओं में देवी का वास होता है. इसलिए, कन्या पूजन करने से नवरात्रि के व्रत और पूजन सफल होते हैं, मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.
अष्टमी या नवमी तिथि जिस दिन भी आप कन्या पूजन करते हैं, उस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की अच्छे से साफ सफाई करें. इसके बाद स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. मां दुर्गा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करें और इसके बाद मां दुर्गा के भोग और कन्याओं को खिलाने के लिए शुद्ध और सात्विक तरीके से हलवा, पूड़ी, काले चने और सब्जी बनाएं. अब छोटी कन्याओं को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करें. कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 5,7,9 या 11 की संख्या के अनुसार रखें. यदि कन्या पूजन के लिए ज्यादा कन्या घर आ गईं हैं तो भी सभी को प्रेम पूर्वक और पूर्ण श्रद्धा के साथ भोजन करवाना चाहिए.
घर में कन्याओं के प्रवेश करने पर पैर धोकर और फिर चरण छूकर कन्याओं का स्वागत करें. और कन्याओं को साफ स्थान पर साफ आसन पर बिठाएं.अब कन्याओं के माथे पर रोली और चावल से तिलक लगाएं और उन्हें फूल या फूल माला अर्पित करें. इस दौरान आप कन्याओं को लाल चुनरी भी ओढ़ा सकते हैं. अब कन्याओं की आरती उतारें. फिर कन्याओं को स्वच्छ बर्तनों में शुद्ध और स्वादिष्ट भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को विदा करते समय उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और इसके बाद कन्याओं को कुछ उपहार जरूर दें.
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में कन्या पूजन सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रि के व्रत का समापन हो जाता है और नवरात्रि का पूजन पूर्ण हो जाता है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने की परंपरा है. इस परंपरा का विशेष महत्व माना जाता है. हिंदू धर्म में कन्या को देवी का स्वरूप माना जाता है. इसलिए, कन्या पूजन के माध्यम से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि कन्याओं में देवी का निवास होता है. ये भी मान्यता है कि कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. अब तक टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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