उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की इस महीने सैलेरी नहीं कटेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बड़ी राहत दी है और कहा है कि 2 अक्तूबर तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश कर दें।


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है और अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए एक महीने का और समय दे दिया है। सरकार ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए संपत्ति विवरण जमा करने की अंतिम तिथि एक महीने बढ़ा दी गई है। बता दें कि अब तक 74% ने अपना विवरण जमा कर दिया है। इस आदेश के बाद अब राज्य कर्मचारी दो अक्तूबर तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे सकेंगे। इस तरह से अब कर्मचारियों को संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कुछ समय दिया गया है।

 

31 अगस्त तक का दिया गया था वक्त

बता दें कि प्रदेश की योगी सरकार की तरफ से ये आदेश दिया गया था कि संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले कर्मचारियों का अगस्त का वेतन रोक दिया जाएगा, इस तरह से अब ऐसे कर्मचारियों को एक महीने का वक्त मिल गया है। अब उन्हें सरकार की तरफ से एक महीने की छूट दी गई है। इससे पहले राज्य के मुख्य सचिव ने 31 अगस्त तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद तय तिथि तक राज्य सरकार के 74 फीसदी कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का विवरण दिया था।

 

डीजीपी मुख्यालय ने किया था अनुरोध

इस आदेश के बाद डीजीपी मुख्यालय ने नियुक्ति विभाग को पत्र भेजकर उनके कार्मिकों के लिए संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया था। पत्र में कहा गया है कि त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण तमाम पुलिस कर्मी समय से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाए। इसके बाद माना जा रहा था कि गृह विभाग के लिए यह तिथि बढ़ाई जा सकती है।

इस विभाग के कर्मचारी निकले स्मार्ट

मुख्य सचिव ने 17 अगस्त को आदेश जारी किया था जिसमें सभी कर्मियों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने के निर्देश दिए थे। साथ ही सभी विभागों को आदेश दिया था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वालों को अगस्त माह का वेतन नहीं दिया जाए। बता दें कि प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मी हैं और इनमें से 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया था। अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने में टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कर्मचारी सबसे आगे रहे। जबकि, शिक्षा विभाग के कर्मचारी अपनी संपत्ति को छिपाने में आगे रहे। 

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