Bhanu Pratap Dixit Shayari


ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,
ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!
"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....
पहले मुड़ कर देखते थे ....
अब देख कर मुड़ जाते हैं
आज परछाई से पूछ ही लिया 
क्यों चलती हो , मेरे साथ
उसने भी हँसके कहा-
दूसरा कौन है तेरे साथ

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