अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए वीजा शुल्क 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है। यह रकम औसत H1B कर्मचारी की सालाना सैलरी से भी ज्यादा है।


H1B Visa Fee Hike: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए वीजा शुल्क 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है। यह रकम औसत H1B कर्मचारी की सालाना सैलरी से भी ज्यादा है। इस फैसले से भारतीय आईटी सेक्टर और प्रोफेशनल्स पर गहरा असर पड़ने वाला है, क्योंकि सबसे ज्यादा H1B वीजा भारतीयों को ही दिए जाते हैं।

कंपनियों पर पड़ेगा सीधा असर

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि कंपनियों को यह शुल्क हर साल देना होगा। हालांकि, व्हाइट हाउस के आधिकारिक आदेश में इसे केवल आवेदन शुल्क बताया गया है। अगर यह शुल्क सालाना लागू हुआ तो कंपनियों के लिए भारतीय कर्मचारियों को H1B पर नियुक्त करना लगभग असंभव हो जाएगा।

गोल्ड कार्ड वीजा योजना भी लागू

एच-1बी नियमों के साथ ही ट्रंप सरकार ने गोल्ड कार्ड वीजा योजना की भी घोषणा की है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति या निगम अमेरिका में वीजा पाने के लिए क्रमशः 10 लाख डॉलर (करीब 9 करोड़ रुपये) या 20 लाख डॉलर (करीब 18 करोड़ रुपये) का भुगतान कर सकता है।

वार्षिक वेतन से अधिक शुल्क

अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में शुरुआती H1B जॉब के लिए औसत वेतन 97,000 डॉलर था, जबकि अनुभवी कर्मचारियों के लिए यह बढ़कर 132,000 डॉलर तक पहुंचता है। औसतन H1B वीजा धारक का वेतन 1,20,000 डॉलर होता है। लेकिन अब वीजा शुल्क इतना बढ़ गया है कि शुरुआती नौकरी तलाशने वालों के लिए यह उनकी पूरी सालाना कमाई से भी ज्यादा हो जाएगा।

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर

यह फैसला भारत के लिए दोहरा झटका है। पहले ट्रंप ने भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ लगाया था और अब H1B वीजा पर सख्ती से भारतीय पेशेवरों को नुकसान होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल आईटी सेक्टर प्रभावित होगा बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।

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Arvind Maurya

अब तक न्याय, राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार-पत

Arvind Maurya is as freelance reporter at AbTak TV Live, He reporting for several fields like Politics, National, International, and on Tech.

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