भैया दूज महापर्व: सीतापुर में प्रेम, स्नेह और उत्साह का अद्भुत संगम सीतापुर से ब्यूरो रिपोर्ट
भैया दूज महापर्व: सीतापुर में प्रेम, स्नेह और उत्साह का अद्भुत संगम सीतापुर से ब्यूरो रिपोर्ट
भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक
भैया दूज महापर्व: सीतापुर में प्रेम, स्नेह और उत्साह का अद्भुत संगम
सीतापुर से ब्यूरो रिपोर्ट
जनपद सीतापुर में इस वर्ष भैया दूज का महापर्व अत्यंत हर्षोल्लास, उमंग और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। सुबह से ही पूरे जनपद का माहौल धार्मिकता और पारिवारिक स्नेह से ओतप्रोत दिखाई दिया। गांवों से लेकर नगर क्षेत्रों तक लोगों ने इस पर्व को अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा, सभी भेदभावों को भुलाकर मिलजुलकर मनाया। हर घर में खुशियों की गूंज थी, मिठाइयों की महक फैली हुई थी और भाई-बहन के अटूट प्रेम की झलक हर चेहरे पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थी।
भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक
भैया दूज को हिंदू धर्म में भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के प्रतीक पर्व के रूप में जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यही भावनात्मक जुड़ाव इस पर्व को विशेष बनाता है।
सीतापुर में इस दिन बहनों ने तिलक, आरती और मिठाई के साथ अपने भाइयों का स्वागत किया। कई परिवारों ने अपने पुश्तैनी रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना की। शास्त्रों के अनुसार, यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना के मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। इसी कारण इसे “यम द्वितीया” भी कहा जाता है।
ग्रामीण अंचलों में भी दिखा उल्लास
सीतापुर जनपद के ग्रामीण अंचलों जैसे सकरन, हरगांव, लहरपुर, खैराबाद, बिसवां और मिश्रिख ब्लॉकों में भैया दूज का पर्व उत्सव जैसा माहौल लेकर आया। गांवों में महिलाएं सुबह से ही पारंपरिक वस्त्रों में सजी-धजी नजर आईं।
गांवों की गलियों में बच्चों की टोली मिठाई और उपहारों के साथ उत्साहपूर्वक घूमती दिखी। हर घर में ‘भैया दूज का तिलक’ का कार्यक्रम बड़े आदर के साथ संपन्न हुआ। कई जगहों पर महिलाओं ने मिलकर सामूहिक पूजा और कथा पाठ का आयोजन भी किया।
नगर क्षेत्रों में छाई रौनक
सीतापुर शहर के प्रमुख बाजारों — चौक, स्टेशन रोड, श्याम सिंह चौराहा, और बिसवां रोड — पर भैया दूज के अवसर पर रौनक देखते ही बनती थी। दुकानों पर मिठाइयों, नारियल, उपहार वस्तुओं और तिलक सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ लगी रही।
शहर के मिठाई विक्रेता बताते हैं कि इस बार बिक्री पिछले वर्षों की तुलना में अधिक रही। “भैया दूज के दिन हर घर में मिठाई की मांग रहती है। इस बार तो एक दिन पहले से ही ऑर्डर आने शुरू हो गए थे,” स्टेशन रोड स्थित शर्मा स्वीट्स के मालिक संजीव शर्मा ने बताया।
धार्मिक स्थलों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
जनपद के प्रसिद्ध मंदिरों में भी आज विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। हनुमानगढ़ी मंदिर, देवी पाटन मंदिर, बालाजी धाम मिश्रिख और चंडी माता मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाओं ने अपने भाइयों के नाम से दीप जलाए और आरती की।
कई परिवारों ने मंदिरों में जाकर ‘भाई की दीर्घायु’ के लिए विशेष हवन कराया। मंदिरों के पुजारियों ने भी भक्तों को यमराज-यमुना की कथा सुनाई, जिससे पर्व का महत्व और गहरा हो गया।
अमीर-गरीब सभी ने मनाया समान उत्साह से
भैया दूज का पर्व सामाजिक समरसता का भी प्रतीक बन गया। सीतापुर में इस दिन अमीर-गरीब, हर वर्ग के लोगों ने बिना किसी भेदभाव के इसे मनाया। कई सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवी संगठनों ने गरीब परिवारों को मिठाई, कपड़े और उपहार वितरित कर खुशियां साझा कीं।
“भैया दूज सिर्फ भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि समाज में समानता और प्रेम का संदेश देने वाला उत्सव है,” लहरपुर की समाजसेवी रमा श्रीवास्तव ने कहा।
महिलाओं ने पारंपरिक गीतों से सजाया वातावरण
भैया दूज के दिन सुबह से ही महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाते हुए पूजा की तैयारियां शुरू कीं। घर-आंगन में रंगोली और दीपों से सजावट की गई। पारंपरिक गीतों में भाई के प्रति स्नेह और मंगल कामना के भाव झलकते हैं।
“भैया दूज के गीत पीढ़ियों से हमारी परंपरा का हिस्सा हैं। इन गीतों से घर का माहौल और भी पवित्र लगता है,” सीतापुर की निवासी उर्मिला देवी ने बताया।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियां
सीतापुर जिला प्रशासन ने पर्व के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष इंतज़ाम किए थे। थाना स्तर पर पुलिस बल तैनात किया गया। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में यातायात पुलिस ने व्यवस्था संभाली।
“त्योहारों के दौरान लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। भैया दूज का पर्व बिना किसी अप्रिय घटना के शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ,” जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया।
बाजार में उपहार और मिठाइयों की बढ़ी मांग
भैया दूज पर मिठाई और उपहारों का विशेष महत्व होता है। इस बार बाजार में मिठाइयों की मांग इतनी अधिक रही कि कई दुकानों में दोपहर तक मिठाइयां समाप्त हो गईं। स्थानीय बाजारों में रसभरी, बर्फी, गजक और लड्डू की सबसे अधिक बिक्री हुई।
बच्चों में चॉकलेट गिफ्ट पैक और सजावटी तिलक थालियों की खास लोकप्रियता रही। फूल मंडी में भी ताजे फूलों और माला की बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई।
सोशल मीडिया पर भी छाया पर्व का उत्साह
भैया दूज का उत्सव सिर्फ घरों और मंदिरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इसकी झलक खूब देखने को मिली। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर लोग अपने भाइयों और बहनों के साथ तस्वीरें साझा करते नजर आए।
#BhaiDooj #SitaPurCelebration जैसे हैशटैग पूरे दिन ट्रेंड करते रहे।
पर्व के सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
भैया दूज का पर्व सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि पारिवारिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि रिश्ते धन-दौलत से नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास से बनते हैं।
सीतापुर की पहचान अपने पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के लिए रही है, और भैया दूज के इस पर्व ने एक बार फिर इस परंपरा को सशक्त किया है।
सीतापुर के लोगों ने भैया दूज का पर्व जिस श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया, वह यह साबित करता है कि आधुनिकता के इस युग में भी भारतीय संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं। जहां एक ओर तकनीकी प्रगति ने जीवन को तेज़ बनाया है, वहीं ऐसे त्योहार लोगों को जोड़ने, परंपरा से जोड़ने और संस्कारों को जीवित रखने का कार्य करते हैं।
भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता, समाज की एकता और स्नेह की महक से ओतप्रोत यह पर्व सीतापुर में आने वाले वर्षों तक यादगार रहेगा।
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