1. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण दीपावली का मुख्य आधार अध्यात्म और परंपरा है। यह दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया गया था — यह रामायण से जुड़ा प्रसंग है। जैन धर्म में इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में माना जाता है। सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोबिंद जी की रिहा


1. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

दीपावली का मुख्य आधार अध्यात्म और परंपरा है।

यह दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया गया था — यह रामायण से जुड़ा प्रसंग है।

जैन धर्म में इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में माना जाता है।

सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई से जुड़ा है।
इसलिए, धार्मिक दृष्टि से दीपावली एक आस्था और सांस्कृतिक उत्सव है।

2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

दीपावली के पीछे कुछ वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण भी हैं, जिनका ऐतिहासिक रूप से व्यावहारिक महत्व रहा है:

(क) रोगनिरोधक कारण

दीपावली बरसात के बाद और सर्दी शुरू होने से पहले आती है।

इस मौसम में मच्छर, कीटाणु और फफूंदी बढ़ जाते हैं।

घरों की सफाई, दीयों का तेल और धुआं — वातावरण को कीटाणुरहित करने में सहायक होता है।

सरसों या घी के दीयों का धुआं प्राकृतिक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है।

(ख) मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण

अंधेरे के बाद रोशनी, उत्साह, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है।

दीप जलाने, सजाने और उत्सव मनाने से मानव मस्तिष्क में सेरोटोनिन (खुशी का हार्मोन) बढ़ता है।

यह लोगों को सामाजिक रूप से जोड़ता है और मानसिक तनाव कम करता है।

(ग) पर्यावरण और जीवनशैली

घरों की सफाई और सजावट से स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है।

पुराने सामान की सफाई से धूल, बैक्टीरिया, फफूंदी आदि हट जाते हैं।

3. अंधविश्वास के पहलू

कुछ परंपराएँ जो समय के साथ जुड़ गई हैं, अंधविश्वास की श्रेणी में आ सकती हैं, जैसे:

यह मानना कि रात में झाड़ू लगाने या पैसा निकालने से लक्ष्मी चली जाती है,

या केवल दीपक जलाने से धन स्वतः आएगा — ये बातें वैज्ञानिक नहीं बल्कि मान्यताएँ हैं।

निष्कर्ष

दीपावली स्वयं अंधविश्वास नहीं है, बल्कि
यह एक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक रूप से सार्थक त्योहार है,
जिसमें कुछ धार्मिक मान्यताएँ और कुछ वैज्ञानिक उपयोगिता दोनों निहित हैं।
हाँ, समय के साथ जुड़ी अंधविश्वासी प्रथाएँ अलग बात हैं — उनका तर्कसंगत विश्लेषण आवश्यक है।

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