सड़क दुर्घटना में घायल की जिंदगी के लिए शुरुआती एक घंटा बेहद नाजुक होता है. मददगार की सक्रियता से घायल शख्स की जान बच सकती है. समाज में इस किस्म की भलाई को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मददगारों को 10 हजार रुपए की नकद राशि से सम्मानित करती है. बिहार सरकार ने भी अभियान चलाया है कि लोग सड़क दु


सरकार ने सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक और प्रोत्साहित करने के मकसद से एक अहम पहल की है. सड़क दुर्घटना में किसी घायल के लिए शुरुआती एक घंटा का समय बेहद नाजुक माना जाता है, इस समय तुरंत उपचार से किसी भी जख्मी शख्स की जान बचाई जा सकती है. सरकार इस सिलसिले में मददगारों को प्रोत्साहित करने की नीति पर काम कर रही है. सड़क दुर्घटना में अगर कोई किसी की मदद करता है, तो राज्य सरकार इसके लिए सम्मानित भी करती है.

 

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सड़क दुर्घटना में घायल के मददगारों को 10 हजार रुपए की नकद राशि से सम्मानित किया जाता है. हर साल ऐसे मददगारों को जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर सम्मानित किया जाता है. इन्हें सम्मान स्वरूप दस हजार के अलावा प्रमाण पत्र, मोमेंटो, शॉल भी प्रदान किए जाते हैं.

 

मोतिहारी में सबसे अधिक मददगार

इस साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के मददगार बने 84 गुड सेमेरिटन को सम्मानित किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या पूर्वी चंपारण जिले की है, जहां के 19 मददगारों को सम्मानित किया गया है. दूसरे स्थान पर अरवल जिला के 8 के अलावा अररिया, मधुबनी, समस्तीपुर और वैशाली जिले के 4-4 मददगारों को सम्मानित किया जा चुका है. पिछले वर्ष 15 अगस्त को 91 ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया है.

 

ऐसे होती है गुड सेमेरिटन की पहचान

इस योजना की शुरुआत मई 2015 से की गई है. केंद्र सरकार के स्तर पर इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य सरकार ने भी इसे लागू कर दिया है. सड़क दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति की मदद करने के लिए सबसे पहले स्थानीय दुकानदार, निवासी, राहगीर और पुलिसकर्मी आगे आते हैं. इनकी पहचान दो तरीके से की जाती है. पहला, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने वाले व्यक्ति की जानकारी अस्पताल की तरफ से रखी जाती है.

सड़क दुर्घटना का समय और दुर्घटना के स्थान के संबंध में अस्पताल की तरफ से अच्छे मददगार व्यक्ति को एक पावती रसीद दी जाती है. दूसरा, दुर्घटना की जानकारी गुड सेमेरिटन पुलिस को देते हैं. इसके बाद पुलिस भी एक पावती रसीद देती है. इसमें संबंधित व्यक्ति का नाम, मोबाइल नंबर, पता, स्थान, दुर्घटना की तिथि और समय की जानकारी होती है. किस प्रकार पीड़ित की मदद की गई है, इसका विवरण भी उसमें दर्ज होता है. इस रसीद की एक प्रति जिला मूल्यांकन समिति (अप्रेजल कमिटी) को भी दी जाती है.

कमेटी करती है इन लोगों का चयन

गुड सेमेरिटन का चयन करने के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है. इसमें जिला पदाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एवं जिला परिवहन पदाधिकारी शामिल होते हैं.

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Instagram Twitter पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Related Tags:

 

Leave a Comment:

महत्वपूर्ण सूचना -

भारत सरकार की नई आईटी पॉलिसी के तहत किसी भी विषय/ व्यक्ति विशेष, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की टिप्पणी पर कानूनी कार्रवाई (सजा या अर्थदंड अथवा दोनों) का प्रावधान है। अत: इस फोरम में भेजे गए किसी भी टिप्पणी की जिम्मेदारी पूर्णत: लेखक की होगी।