हिंदी सिनेमा में भाई-बहन की कई जोड़ियों ने तहलका मचाया है। 40-50 के दशक में भी भाई-बहन की एक जोड़ी हुआ करती थी, जिसने दर्शकों को खूब एंटरटेन किया। लेकिन, एक फिल्म में साथ में रोमांटिक सीन देकर भाई-बहन की ये जोड़ी मुश्किल में फंस गई थी।
40-50 के दशक में एक अभिनेत्री हुआ करती थीं, जिन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों पर खास छाप छोड़ी। लेकिन, अपने अभिनय से ज्यादा ये एक विवाद को लेकर चर्चा में रहीं। इस अभिनेत्री ने अपने सगे भाई के साथ ऑनस्क्रीन रोमांटिक सीन देकर उस दौर में बड़ा बवाल खड़ा कर दिया था। हम बात कर रहे हैं लीजेंड्री कॉमेडियन महमूद की छोटी बहन मीनू मुमताज की। मीनू मुमताज ने एक फिल्म में अपने भाई यानी महमूद के साथ रोमांटिक सीन दिया था, जिसके बाद वह ऐसे फंसी की उनके बायकॉट की डिमांड उठने लगी। इस एक फिल्म के चलते उनकी जिंदगी में उथल-पुथल मच गई। एक समय आया जब मीनू मुमताज देश छोड़कर विदेश में बस गईं और फिर वो पल भी आया जब इनकी याददाश्त भी चली गई।
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कई कलाकारों से रिश्ता रखती थीं मीनू मुमताज
मीनू मुमताज, महमूद की छोटी बहन होने के साथ-साथ और भी कलाकारों से रिश्ता रखती थीं। क्योंकि महमूद की शादी मीना कुमारी की बहन से हुई थी, इस नाते वह मीना कुमारी की रिश्तेदार थीं और लकी अली की बुआ हुईं। मीनू के पिता मुमताज अली एक डांसर थे और मीनू को ये कला उन्हीं से विरासत में मिली थी। लेकिन, शराब की लत के चलते मीनू के पिता यानी मुमताज अली का करियर बर्बाद हो गया, जिसके बाद 7 भाई-बहनों की जिम्मेदारी मीनू के सिर पर आ गई।
परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते फिल्मों में रखा कदम
मीनू ने मजबूरन फिल्मों में उतरने का फैसला लिया, जबकि उनकी मां उनके इस फैसले के खिलाफ थीं। अभिनेत्री तब 13 साल की थीं, जब उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। मीनू ने अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए फिल्मों का रुख किया था। आर्थिक तंगी के समय उनके हाथ एक फिल्म लगी हावड़ा ब्रिज, इस फिल्म में मीनू को एक गाने (गोरा रंग चुनरिया काली) में अपने सगे भाई महमूद के साथ रोमांस करना पड़ा। ये देखकर लोग भड़क उठे और फिल्म और दोनों कलाकारों को बायकॉट करने की मांग होने लगी। लेकिन, भारी विरोध के बावजूद मीनू ने फिल्मों में काम करना जारी रखा और धीरे-धीरे ये बात भी दब गई।
मीनू मुमताज का असली नाम
मीनू मुमताज का असली नाम मलिकुन्निसा अली था। मीनू खूबसूरत होने के साथ-साथ काफी बोल्ड हुआ करती थीं और डांस में भी माहिर थीं। उन्हीं के नाम पर मुमताज अली नाइट नाम का एक शो भी चला करता था। मीनू काम की तलाश में अक्सर फिल्म स्टूडियो के चक्कर काटा करती थीं। इसी दौरान फिल्ममेकर नानूभाई वकील की उन पर नजर पड़ी और उन्होंने अपनी फिल्म सखी हकीम (1955) में उन्हें काम दे दिया। मां मीनू के फिल्मों में काम करने के सख्त खिलाफ थीं, ऐसे में उन्हें मां की हिदायत के अनुसार ही काम रखना था।
मीनू मुमताज ने इन फिल्मों में किया काम
मीनू ने हावड़ा ब्रिज के अलावा साहिब बीवी और गुलाम (1962), कागज के फूल (1959), चौदहवीं का चांद (1960) जैसी फिल्मों में काम किया और अहम किरदार निभाए। इन फिल्मों के अलावा मीनू ने ताज महल, घराना और घूंघट जैसी फिल्मों में भी काम किया और नाम कमाया। इसी दौरान मीनू की शादी तय हो गई। शादी के लिए मीनू को फिल्मों में काम करना छोड़ना था, लेकिन उन दिनों उनके पास जहां आरा और पालकी जैसी फिल्में थीं। मीनू ने इन फिल्मों को पूरा करके काम छोड़ने की बात की। 1963 में मीनू मुमताज ने अपने परिवार के कहने पर फिल्म डायरेक्टर एस. अली अकबर से शादी कर ली और वादे अनुसार जहां आरा और पालकी की शूटिंग खत्म करके फिल्मों को अलविदा कह दिया।
प्रेग्नेट होते हुए भी की शूटिंग
मीनू मुमताज जिस वक्त जहां आरा और पालकी की शूटिंग कर रही थीं, उन दिनों प्रेग्नेंट थीं, जिसके चलते पालकी फिल्म को बनने में चार साल लग गए और ये फिल्म 1967 में रिलीज हो सकी। मीनू प्रेग्नेंट थीं, ऐसे में डायरेक्टर ने जान-बूझकर ऐसे सीन फिल्म में डाले, जिसमें मीनू को ऑनस्क्रीन भी प्रेग्नेंट दिखाया जा सके। मीनू मुमताज और अली अकबर के चार बच्चे हुए, एक बेटा एजाज और तीन बेटियां शहनाज, गुलनाज और महनाज।
शादी के बाद छोड़ दिया देश
शादी के बाद मीनू देश छोड़कर विदेश में जा बसीं। 2003 में एक दिन अचानक मीनू की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। अस्पताल ले जाने पर पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। ब्रेन ट्यूमर के चलते उनकी याददाश्त भी चली गई, उन्होंने सबको पहचानना बंद कर दिया था। लेकिन, ऑपरेशन के बाद उनकी याददाश्त वापस आ गई। 23 अक्टूबर 2021 को मीनू मुमताज ने 79 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जब उनका निधन हुआ वह टोरंटो, कनाडा में रह रही थीं।
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