जब समाज की अधिकार और पार्टी के अधिकार की बात आती हैं तो परिवारवाद हावी रहता हैं। ✅
जब समाज की अधिकार और पार्टी के अधिकार की बात आती हैं तो परिवारवाद हावी रहता हैं। ✅
" पहले त्यागी राजनेता होते थे। आज स्वार्थी राजनेता होते हैं
" पहले त्यागी राजनेता होते थे।
आज स्वार्थी राजनेता होते हैं।
पहले ट्रेन दुर्घटनाओं से आहत रेलमंत्री स्तीफा दे देते थे।
आज के रेलमंत्री घटनाओं की जांच की जिम्मेदारी अधिकारियों को सौंप कर सत्ता का सुख भोगते रहते हैं।
जनहितैषी राजनेताओ के सेवाभाव से मुल्क तरक्की करता है, प्रकृति भी उनका साथ देती है।
जनविरोधी झूठ-फरेब के बल पर जनता को गुमराह करने वाली सरकार को कुदरत भी साथ नहीं देती है।
कोरोना का लॉक डाउन में भूखे-प्यासे हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने घर जाने वाले लोगों को तड़प कर मरने वाले, अमृत महाकुंभ में स्नान को आये श्रद्धालुओं की भीड़ में कुचल कर मरना और दिल्ली रेलवे प्लेटफार्म में यात्रियों की भगदड़ में बच्चों-महिलाओं और पुरुषों की मरने की घटना दुखदायी है।
हमारे मुल्क की राजधानी दिल्ली में रेल प्रशासन की अव्यवस्था चिंताजनक है।
ट्रेनों में तादाद से ज्यादा यात्रियों के सफर में अंकुश क्यों नहीं सरकार लगाती है।
उतने ही टिकट की रेलवे हो या सरकारी परिवहन निगम बिक्री करें, जितने यात्रियों को सफर में बैठने की सीट उपलब्ध करा सकें।
नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Instagram Twitter पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।
जब समाज की अधिकार और पार्टी के अधिकार की बात आती हैं तो परिवारवाद हावी रहता हैं। ✅
मरेंगे वो सब जो चुप हैं। कोई गोली से मरेगा, कोई धक्का-मुक्की से मरेगा, और कोई भूख से मरेगा..!! पर मरेंगे सब जो चुप हैं..!!
साथियों जय भीम जय भारत जय संविधान#उन बसपा के दलालों से पूछना चाहता हूं
Leave a Comment: