बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को सरोजनीनगर में पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित जनसभा में भाजपा और आरएसएस पर नमक के बदले वोट मांगने का आरोप लगाते हुए कहा कि गरीबों को मुफ्त राशन जनता के टैक्स के पैसों से दिया जा रहा है। वह अपनी जेब से आपको राशन नहीं दे रहे हैं। आप अपना नमक खा रहे हैं, भाजपा और आरएसएस का नहीं।
उन्होंने कहा कि केंद्र में बसपा की सरकार बनने पर अवध को अलग राज्य बनाया जाएगा, जिसमें लखनऊ भी शामिल होगा। बीते कई सालों से इसकी लगातार मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव फ्री और फेयर हुआ तो इस बार केंद्र में भाजपा की सरकार आसानी से नहीं बनेगी। कोई भी जुमलेबाजी, नाटकबाजी और गारंटी काम नहीं आएगी। भाजपा सरकार पर दस साल से पूंजीपतियों और धन्नासेठों को मालामाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यही इनका संगठन चलाते हैं और चुनाव लड़वाते हैं। इलेक्टोरल बांड से यह साबित भी हो चुका है। बसपा को छोड़कर सभी दलों ने धन्नासेठों से पैसा लिया है। हमारी पार्टी संगठन चलाने और चुनाव लड़ने के लिए केवल कार्यकर्ताओं से थोड़ा पैसा लेती है।
जांच एजेंसियों का दुरुपयोग
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी गलत नीतियों के कारण केंद्र और राज्यों की सत्ता से बाहर होना पड़ा। यही हालत उसके सहयोगी दलों की भी हुई। कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी जांच एजेंसियों का राजनीतिकरण कर दुरुपयोग किया है। इनको केंद्र की सत्ता में आने से रोकना है। देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई बढ़ रही है और भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ये दल साम, दाम, दंड, भेद अपनाकर सत्ता में आना चाहते हैं। आपको ओपिनियन पोल, सर्वे आदि से गुमराह नहीं होना है। किसी के लुभावने घोषणा पत्र के बहकावे में नहीं आना है। बसपा काम करने पर यकीन करती है, इसलिए कोई घोषणा पत्र जारी नहीं करती है। कहा, हमने अपनी सरकार में लखनऊ की पहचान को बदल दिया था। अब लोग यूपी आने पर लखनऊ जाने को बोलते हैं।
मुस्लिमों का हो रहा उत्पीड़न
उन्होंने कहा कि केंद्र में बसपा सरकार बनने पर हिंदुत्व की आड़ में मुस्लिमों का द्वेष की भावना से किया जा रहा उत्पीड़न भी रोका जाएगा। कांग्रेस की तरह भाजपा की भी जातिवादी और सांप्रदायिक सोच है। यह दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों का विकास और उत्थान नहीं कर सके। सपा सरकार में तो अखिलेश यादव ने पदोन्नति में आरक्षण को ही खत्म कर दिया था। जब बसपा संसद में संशोधन बिल लाई तो सारी पार्टियों ने सपा को आगे करके एक सुर में विरोध किया। अब चुनाव में यही पार्टियां आरक्षण देने की बात कर रही हैं। ये चुनाव में खुद को दलितों का हितैषी बताते हैं, लेकिन सत्ता में आने पर उल्टा काम करते हैं।
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