काफी शिकायतों के बाद जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान


काफी शिकायतों के बाद जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान

रामनगर बाराबंकी।
     काफी शिकायतों के बावजूद जिला अधिकारी बाराबंकी ने प्रकरण को संज्ञान में लेकर उप जिलाधिकारी रामनगर सुश्री तान्या से विस्तृत जांच कर आख्या मांगी।
      बताते चलें कि जब से रामनगर पीजी कॉलेज में नवागत प्राचार्य कौशलेंद्र विक्रम मिश्र आए हैं तब से महाविद्यालय अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहा है। कॉलेज एक जातिवादी, राजनीतिक अखाड़ा बनकर तैयार हो गया, महाविद्यालय की पढ़ाई गर्त में पहुंच गई तथा उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा चयनित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों में आक्रोश पैदा हो गया है, जो प्राचार्य ऑफिस तक जाना उचित नहीं समझते। इसी को लेकर महाविद्यालय के शुभचिंतक लोगों ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि महाविद्यालय के प्राचार्य गुटबाजी कर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देते हैं। तथा तीन, चार ब्राम्हण अध्यापकों का संगठन बनाकर उन्हीं से  संविदा शिक्षकों द्वारा वरिष्ठ शिक्षकों को बेज्जत कराने की साजिश करते रहते हैं। इसी के साथ महाविद्यालय में टीन सेट का निर्माण कराया गया वह भी मानक विहीन हुआ, तथा लकड़ी की बिक्री कम दामों में ब्राह्मण ठेकेदार को दे दी गई जिसमें शीशम, सागौन के महंगे- महंगे बोटे थे। यही नहीं पूर्व प्राचार्य डॉक्टर ओपी सिंह के अथक प्रयासों द्वारा भवन निर्माण हेतु सांसद निधि से पैसा लाया गया था जो नवागत प्राचार्य ने कमीशन खोरी के चलते मानक विहीन बिल्डिंग का निर्माण करा दिया। इसी प्रकार अनेक बिंदुओं पर जिला अधिकारी को पत्र दिया गया था, जिसे जिला अधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए उप जिलाधिकारी रामनगर को जांच हेतु आदेशित किया है। ऐसे में अब देखना यह है कि योगी सरकार के सक्षम अधिकारी कैसे निष्पक्ष जांच करके जांच में दोषी पायेजाने वालों पर क्या कार्यवाही करते हैं।
    25,लाख में बना भवन, उद्घाटन के पहले ही फर्श में दरार
      बताते चलें पीजी कॉलेज में भवन निर्माण हेतु पूर्व सांसद प्रियंका सिंह रावत द्वारा 1500000 रुपए तथा सांसद उपेंद्र रावत द्वारा ₹1000000 दिया गया था। कुल 2500000 रुपए में तीन कमरे एक बरामदा का निर्माण हुआ। परन्तु अभी भवन का उद्घाटन भी नहीं हुआ है और कमरे की लगी फर्स में फूलकर  दरारें आ गई हैं कहीं घपला उजागर ना हो जाए इस लिए प्राचार्य द्वारा सीमेंट से चकती लगवा दी गई है। वाह प्राचार्य की कार्यप्रणाली। अब देखना यह होगा कि कि प्राचार्य पर लगे संगीन आरोपों की निष्पक्ष जांच करा कर संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है। प्राचार्य की कार्यप्रणाली पर विद्यालय ही नहीं नगर व छात्रों में भी आक्रोश दिखने लगा है लोग कहने वाले हैं कि बाहरी प्राचार्य आकर ब्राह्मण का ढोंग रच कर हमारे क्षेत्र की धरोहर को उजाड़ रहे हैं। यदि ऐसा प्राचार्य कुछ दिन महाविद्यालय में रह गया तो हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार मय हो जायेगा, इसका जिम्मेदार कौन होगा?

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