बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस लंदन दौरे पर गए हैं. वो शुक्रवार (13 जून) तक यहां रहेंगे. यूनुस चाहते थे कि इस दौरे पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात हो. मगर खबर है कि स्टार्मर ने उनसे मिलने का अनुरोध ठुकरा दिया है.


बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस का लंदन दौरा सुर्खियों में है. यूनुस चाहते थे कि ब्रिटेन की नई लेबर सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें और शेख हसीना सरकार के कार्यकाल में कथित रूप से विदेश भेजी गई अरबों की रकम को वापस लाने में मदद करें.

क्या है वो मुद्दा जिस पर बातचीत होनी थी?

यूनुस का दावा है कि हसीना सरकार के 16 साल के शासन में करीब 234 अरब डॉलर की राशि गलत तरीके से विदेश भेजी गई, जिसमें ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, कैरिबियन और मिडल ईस्ट प्रमुख ठिकाने रहे. उन्होंने ब्रिटेन से अपील की कि इस धन को वापस लाने में ब्रिटेन को नैतिक और कानूनी रूप से मदद करनी चाहिए. यूनुस का कहना है कि ये कोई राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि एक सीधा-सीधा लूट का मामला है.

 

ब्रिटेन की एजेंसियों ने क्या एक्शन लिया है?

ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने हसीना सरकार के सहयोगी सलमान एफ रहमान के बेटे की लंदन स्थित दो प्रॉपर्टी पर फ्रीजिंग ऑर्डर लगाए हैं. वहीं, एक और मंत्री सैफुज़्जमान चौधरी की संपत्तियां भी एजेंसी ने जब्त की हैं. हालांकि यूनुस का कहना है कि उन्हें और ज्यादा उत्साही समर्थन की दरकार है. उनका कहना है कि ये दौरा सिर्फ एक शुरुआत है और वे ब्रिटिश बैंकों, कंपनियों और खुफिया एजेंसियों से सहयोग की उम्मीद रखते हैं.

तुलिप सिद्दीक ने मांगी यूनुस से मुलाकात

हसीना की भांजी और लेबर पार्टी की सांसद तुलिप सिद्दीक़, जो एक समय ब्रिटेन में भ्रष्टाचार निरोधक मंत्री भी थीं, ने यूनुस से मुलाकात की इच्छा जताई थी. लेकिन यूनुस ने इंकार करते हुए कहा कि ये कोई व्यक्तिगत मसला नहीं, बल्कि पूरी तरह कानूनी मुद्दा है. गौरतलब है कि जनवरी 2025 में तुलिप को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जब उन पर आरोप लगे कि उन्हें हसीना सरकार के करीबियों से प्रॉपर्टी और अन्य मदद मिली थी. हालांकि उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया.लेकिन फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यूनुस से मिलने का अनुरोध ठुकरा दिया है. यूनुस ने कहा कि उनसे मेरी कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है लेकिन उन्हें अब भी भरोसा है कि ब्रिटेन उनकी सरकार के साथ खड़ा होगा.

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