कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि गण के रूप में डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार गौड़, सहायक महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, श्री सोनपाल जी निदेशक दीन दयाल शोध संस्थान, फरह मथुरा, डॉ. मनीष कुमार चेटली, निदेशक केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, डॉ. राजीव पाहवा, उपनिदेशक, कृषि विभाग मथुरा, डॉ. वाई के शर्मा, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र मथुरा, डॉ. अतुल सक्सैना, निदेशक प्रसार, दुवासु, मथुरा के भी सहभागिता की । साथ ही बड़ी संख्या में किसानों, बकरी पालकों, वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया ।
कार्याक्रम की शुरूआत जलभरो कार्यक्रम एवं परिषद के गीत से हुयी उसके उपरांत केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ0 मनीष कुमार चेटली ने मुख्य अतिथि मथुरा की सांसद एवं सिने स्टार श्रीमती हेमा मालिनी एवं अन्य अति विशिष्ट अतिथिगण का पटुका पहनाकर स्वागत किया ।
यह कार्यक्रम कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में नवाचार, आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है । इसमें श्रीमती हेमा मालिनी ने किसानों, बकरी पालकों और ग्रामीण उद्यमियों को सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं, नवाचारों और संसाधनों की जानकारी दी, जिनसे वे अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकते हैं ।
सांसद श्रीमती हेमा मालिनी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “सबसे पहले मैं इस कार्यक्रम के आयोजकों को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने मुझे विकसित कृषि संकल्प अभियान जैसे महत्वपूर्ण और जन-कल्याणकारी प्रयास का हिस्सा बनने का अवसर दिया । आज के इस कार्यक्रम में हमारे बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मखदूम, दुवासु मथुरा, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग, मथुरा एवं दीन दयाल धाम के विशिष्ट प्रतिनिधिगण उपस्थित हैं । मैं इन सभी का अभिनंदन करती हूँ कि उन्होंने किसान और वैज्ञानिकों के बीच सीधे संवाद का यह मंच तैयार किया है । यह दोतरफा संवाद हमारे अनुसंधान को जमीनी सच्चाई से जोड़ने का कार्य करेगा ।
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, मथुरा, कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, मथुरा द्वारा मथुरा और हाथरस के 270 गाँवों में किसानों से सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रहा है और उनकी समस्याओं को सुनकर उनका निदान किया जा रहा है, वह सराहनीय है । बकरी, जिसे हम "गरीब की गाय" कहते हैं, वास्तव में ग्रामीण स्वरोजगार और पोषण सुरक्षा का सशक्त माध्यम बन सकती है । मैंने स्वयं जब इस संस्थान की ब्रांड एंबेसडर के रूप में
इसकी गतिविधियों को नज़दीक से देखा, तो यह स्पष्ट हुआ कि अगर सही मार्गदर्शन, तकनीकी सहयोग और बाज़ार सुविधा दी जाए तो हमारा किसान केवल अन्नदाता नहीं, एक सफल उद्यमी भी बन सकता है ।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ0 मनीष कुमार चेटली ने अपने संबोधन में कहा कि “हम सभी जानते हैं कि कृषि भारत का मेरूदंड है और हमारे किसान उसकी धड़कन । आज जब देश आत्मनिर्भर भारत की ओर तेज़ी से अग्रसर है, तो यह आवश्यक है कि हमारी कृषि और पशुपालन पद्धतियां भी वैज्ञानिक, टिकाऊ और लाभकारी बनें । विकसित कृषि संकल्प अभियान का यह चरण खरीफ की फसल की तैयारी पर आधारित है । इस देशव्यापी अभियान में 2000 से अधिक वैज्ञानिकों के दल 700 जिलों में लगभग 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर रहे है और उनकी समस्याओं का निराकरण कर रहे है” ।
यह देशव्यापी अभियान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा अनुमोदित है, जो स्वयं एक किसान-हितैषी नेतृत्व का परिचायक है । इस देशव्यापी अभियान में 2000 से अधिक वैज्ञानिकों के दल 700 जिलों में लगभग 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर रहे है और उनकी समस्याओं का निराकरण कर रहे है । केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, मथुरा, कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, मथुरा द्वारा मथुरा और हाथरस के 270 गाँवों में किसानों से सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के व्हे एव बकरी के दूध से बने हुए साबुन का विमोचन माननीय सांसद हेमा मालिनी ने किया और उन्होंने इसकी उपयोगिता के बारे में किसानों एवं उपस्थित आम नागरिकों को अवगत कराया ।
इस अवसर पर कृषि तकनीक, बकरी पालन, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, और ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं पर विचार-विमर्श एवं प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए गये । केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखूदम द्वारा चलाए जा रहे विकसित कृषि संकल्प अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम कृष्ण दीक्षित ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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