व्यक्ति की सत्ता लोलुप्तता ही उसके विनाश का कारण होती है


सत्ता लोलुप्तता
व्यक्ति की सत्ता लोलुप्तता ही उसके विनाश का कारण होती है।इसीलिए हिंदुओं ने राजाओं के लिए समय पर सन्यास लेकर सत्ता का हस्तांतरण सुयोग्य व्यक्ति को करने का प्रावधान किया था। मुसलमानों में इस तरह की शिक्षा इस्लाम नही देता है।अतः इस्लामिक देशों में सत्ता हस्तांतरण सदैव खूनी संघर्ष के बाद ही हो पाता है। इसी का एक और प्रकरण बांग्लादेश में हुआ। शेख हसीना के विरुद्ध जनमानस में काफी विरोध था। चौथी बार शेख हसीना की पार्टी  जब बांग्लादेश में सत्ता के लिए चुनाव में आई तब तक उनके खिलाफ काफी एंटी कंबैंसी का माहोल बन चुका था। इस हेतु विरोधियों को जेल मैं डालकर,इलेक्शन का बहिष्कार होने के बावजूद जबरदस्ती एक तरफा इलेक्शन हुए।कुल चालीस प्रतिशत वोट पड़े जिसमे आरोप है कि कमसे कम दश प्रतिशत वोट फेक डाले गए जिससे दुनिया को दिखाया जा सके कि इलेक्शन में आवामी लीग के पर्याप्त समर्थक हैं। बांग्लादेश में ३०० सीटों के विरुद्ध २४० सांसद शेख हसीना की पार्टी जीती लेकिन जब विद्रोह हुआ तो ये सांसद तथा उनके समर्थक कहां गायब हो गए। वास्तव में इनके पास जनता का समर्थन था ही नही इसी लिए विद्रोह में शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा,तथा इनके समर्थक तथा मंत्री दौड़ा दौड़ा कर मारे गए ।एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्नीस मंत्री इनके मार दिए गए सांसद कहां है किसी को पता नहीं।सेना में इनके समर्थक सेनापति जनता का इन्हे समर्थन न होने के कारण पाला बदल लिए।पुलिस ने वर्दी उतारकर उपद्रवियों के साथ हो गई।एक प्रजातांत्रिक तरीके से जनवरी २४ में दो तिहाई बहुमत से जीत कर आई पार्टी का इतना बुरा हाल देश के लोग कर दें समझ में आता  नही।
अतः जब भी जनता आप की नीतियों से विमुख होकर आपका विरोध करे आप फेयर चुनाव कराकर सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से करे यही प्रजातंत्र का तरीका है।जोड़तोड़ कर सत्ता में बने रहने की प्रवत्ति देश को बहुत नुकसान पहुंचाती है। भारतीय पार्टियों तथा नेताओं को इससे सबक लेना चाहिए।सत्ता के लिए दल बदल लेना, येन केन प्रकार से सांसद बने रहना उचित नहीं है। 
बांग्लादेश की जनता का इस्लामिक रेडिकलाइजेशन बहुत पहले हो चुका है ।शेख हसीना इस रेडिकलाइजेशन को रोक नही पाई। भारत में बीजेपी सरकार होने तथा भारत बांग्लादेश सीमा से मुस्लिमों का हिंदुस्तान में पलायन कम हो जाने से इस प्रक्रिया को और अधिक बल मिला।चीन तथा पाकिस्तानी आईएसआई संस्था ने इसे और अधिक बढ़ाने में मदद की। भारतीय एजेंसियां इसे पढ़ने में नाकाम रही। शेख हसीना पर एक सीमा से अधिक भरोसा करना भारतीय शासन तंत्र को आज महंगा पड़ रहा है। जब अमेरिकन सीआईए तथा उनके लोग बांग्लादेश में रेजिम चेंज का गेम खेल रहे थे तब भी भारतीय एजेंसियां सो रही थी।शेख हसीना विगत दो महीने से भारत स्वयं आकर इस संदर्भ में फीडबैक दिया गया लेकिन भारत के डिप्लोमेट क्यों सोते रहे ये समझ से परे है।जब चीन तथा अमेरिका एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में लगे है और जंग का मैदान इंडो पेसिफिक क्षेत्र है तब भारत कैसे गुट निरपेक्ष रह सकता है। अमेरिका रूस संघर्ष के समय भारत की गुट निरपेक्षता की नीति इसलिए आंसिक रूप से चल गई क्योंकि उस समय जंग का क्षेत्र दक्षिण एशिया नही था।परंतु अमेरिका चीन के संघर्ष में जंग का क्षेत्र भारतीय क्षेत्र होगा।ऐसे में भारत की गुट निरपेक्षता की नीति सफल नहीं होगी।भारत को खुलकर अमेरिका के साथ आना चाहिए तथा चीन के विरुद्ध बन रहे गुट में प्रत्यक्ष भूमिका में रहे तभी उसका कल्याण हो सकता है। क्वाड के रूप में जो पहल की गई थी उसे ही आगे बढ़ाना तथा उसी परिपेक्ष्य में हिंद महासागर में भी क्वॉड की मजबूत उपस्थिति को स्वीकार करने के अलावा और कोई बेहतर विकल्प भारत के लिए नही दिखता है।

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