सास-बहू-बेटा सम्मेलन में बताए जाएंगे सीमित परिवार के लाभ - आज से उपकेंद्रों पर होंगे आयोजन
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पुरवा दासापुर के सामुदायिक शौचालय में लटक रहा ताला रिपोर्ट पदुम सिंह तोमर महोली सीतापुर
पुरवा दासापुर के सामुदायिक शौचालय में लटक रहा ताला
रिपोर्ट पदुम सिंह तोमर महोली सीतापुर
सीतापुर।स्वच्छ भारत मिशन की मंशा में अधिकारियों की लापरवाही बाधा बन रही है। विकास खण्ड बिसवां की ग्राम पंचायत पुरवा दासापुर में बने सामुदायिक शौचालयों का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है। स्वयं सहायता समूह को हैंडओवर होने के बाद भी इनमें ताला लटक रहा है।
सामुदायिक शौचालय का निर्माण तीन श्रेणी से कराया गया है और उसी के अनुसार धनराशि खर्च की गई। ब्लाक की अधिकांश ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूरा हो गया है। निर्माण के बाद इन शौचालयों को स्वयं सहायता समूह को हैंड ओवर करना बताया जा रहा है। फिर भी शौचालयों में ताला लटक रहा है। ग्रामीण महीनों से ताला खुलने की उम्मीद में हैं। जिनके यहां शौचालय नहीं है वह खुले में शौच जाने को विवश हैं।
बताया जा रहा है कि शौचालय की देख रेख करने वाले का छह हजार रुपये प्रति माह,तीन हजार बिजली सप्लाई आदि पर खर्च के लिए हर माह मिलते हैं। इसके बाद भी पुरवा दासापुर के ग्रामीणों को शौचालय का ताला खुलने का इंतजार है।अधिकारियों की अनदेखी व उदासी -नता से ग्रामीणों को महत्वपूर्ण सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांवों में यूनिट के तहत शौचालय बनवाए गए हैं। सभी शौचालयों को महिला सहायता समूह को हैंड ओवर किया जा चुका है। सभी को नियमित रूप से शौचालय खोलने के आदेश हैं। लापरवाही के चलते शौचालय नहीं खुल रहा है।
पुरवा दासापुर सामुदायिक शौचालय बनने के समय लोग बहुत खुश थे लेकिन इसमें बनने के बाद से ताला लटक रहा है। जबकि इसकी सुविधा जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए। जिम्मेदार गांव में आकर सच्चाई से रूबरू नहीं होना चाहते। ऐसे में गांव के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।
गांव की रूबी खातून ने कहा कि ताला लगा होने से लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं। बरसात का मौसम है बाहर जाने में जहरीले जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है। काफी समय से यहां आमजन की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। कई बार जिम्मेदारों का ध्यान सुलभ शौचालय का ताला खुलवाने की ओर खींचा गया। लेकिन जिम्मेदारों के स्तर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।समस्या जस की तस बनी हुई है।
गांव के ही इस्लामुद्दीन ने कहा कि सरकार ने गांवों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण इसलिए कराया कि खुले में शौच की कुप्रथा खत्म हो सके। लापरवाही के चलते शौचालय में ताले लटक रहे हैं। फिर भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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