India and Security Council: उठे सवाल, क्या UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करेगा पाक? जानें, क्या है मामला
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सीट को लेकर एक बार फिर चर्चा गरम है। यह भी चर्चा जोरों पर है कि इस मामले में पाकिस्तान भारत का समर्थन करेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान सुरक्षा परिषद की स्थाई सीट के लिए भारत का समर्थन करने के लिए तैयार हो गया है? पाकिस्तान की मीडिया में इस बारे में कयासबाजियों का दौर जोरों पर है। पाकिस्तानी अखबारों के मुताबिक अमेरिका का दबाव में पाकिस्तान अपने चिर प्रतिद्वंदी भारत का समर्थन करने को राजी हो गया है। हालांकि, पाकिस्तान हुकूमत इन खबरों का खंडन किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी कितनी मजबूत है। क्या है सुरक्षा परिषद। क्या सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान भारत का समर्थन करेगा।1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्तान की नई सरकार अमेरिका से अपने संबंधों को ठीक करने में जुटी है। इमरान खान सरकार में पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध काफी नाजुक दौर में थे। पाक की नई सरकार अमेरिका से बेहतर संबंध की इच्छुक है। भारत और अमेरिका के मधुर संबंधों को देखते हुए यह चर्चा जोरों पर रही कि बाइडन प्रशासन पाकिस्तान पर इस बात का दबाव डाल सकता है कि वह सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए राजी हो जाए। ऐसा करके अमेरिका भारत के साथ और निकटता के संबंध स्थापति करना चाहता है। रूस यूक्रेन जंग के बाद भारत की तटस्थ नीति से चिंतित अमेरिका भारत को पक्ष में करने के लिए कुछ भी कदम उठाने के लिए तैयार हो सकता है।
2- उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में विश्व के बीच शक्ति संबंधों में असंतुलन को तत्काल ठीक करने की जरूरत है। इसके साथ ही स्थाई और अस्थाई सीटों के विस्तार के माध्यम से सुरक्षा परिषद में सुधार करने की भी जरूरत है ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव हेतु जटिल और उभरती चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपट सके। UNSC के अस्थायी सदस्यों में से एक के रूप में भारत UNSC में सुधार के लिए एक व्यापक सेट वाले प्रस्ताव का मसौदा तैयार करके शुरू कर सकता है। यह अन्य समान विचारधारा वाले देशों जैसे भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील से संपर्क कर सकता है तथा यूएनजीए के सभी सदस्य देशों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर सकता है।
3- प्रो पंत ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी जायज है। भारत ने वर्ष 1947-48 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लिया है। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पूर्व उपनिवेशों को स्वीकार करने, मध्य पूर्व में प्राणघातक संघर्षों को संबोधित करने और अफ्रीका में शांति बनाए रखने जैसे कई मुद्दों पर निर्णय लेने में अपनी भूमिका निभाई है। इसने संयुक्त राष्ट्र में विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। भारत ने 43 से ज्यादा शांति अभियानों में भाग ले चुका है। इसमें कुल योगदान 160,000 से अधिक सैनिकों और महत्त्वपूर्ण संख्या में पुलिस कर्मियों का है।4- प्रो पंत ने कहा कि भारत की जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, सकल घरेलू उत्पाद, आर्थिक क्षमता, सभ्यतागत विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में अतीत तथा वर्तमान में भारत द्वारा दिए जा रहे योगदानों ने इसकी यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग को पूरी तरह से तर्कसंगत बना दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भूमिका निभाई है, उससे पूरी दुनिया में एक सकारात्मक संदेश गया है। दक्षिण एशिया में भारत एक बड़ी लोकतांत्रिक देश है।
पाक विदेश मंत्री ने किया खंडन
पाकिस्तानी सरकार ने इस खबर को बेबुनियाद बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। इसमें कहा गया था कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार को इस तरह का आश्वासन दिया था। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि न्यूयार्क में अमेरिकी विदेश मंत्री और पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई थी। इस बैठक में दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई, लेकिन भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई।
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