Gaurav Siddharth Shayari in Hindi (शायरी)


ये आग लगी है तो बुझानी भी चाहिए , ये मकान शानदार थोड़ी है

 

2. दिन ढल गए पर वह आई नहीं, न जाने हमसे क्या खता हो गई

 

दिन ढल गए पर वह आई नहीं, न जाने हमसे क्या खता हो गई

कि उनके याद में पूरी जिंदगी ऐसे गवा दी , जैसे टूटे पत्तों को रहे नहीं मिलती

एक आवाज में शामिल हो जाए बताइए मेरी महफिल में मैंने ऐसे यार बनाए हैं

कि मैं मर गया हूं यह बात उसकोबताओ मेरे जनाजे की खबर उसे तक पहुंचाओ

क्या तूने दूर गुजरे हैं जो तूने नहीं गुजरे वह हम नहीं गुजरे हैं

 

न जाने हमसे क्या बात हो गई उससे कहो उसके जनाजे पर तो आओ

उसे दौर में मर गए हम जानी अब उसके अलावा कोई भाता नहीं

क्या अब तेरा शहर छोडा कि अब तेरे शहर में आता ही नहीं

यह दिन अब ढल गए ,अब मेरे यार बदल गए , की कभी जान हुआ करते थे वो, कि वह बदल गए पर हम अभी नहीं  बदले

किन हवाओं तकदीर से लड़ा क्यों नहीं , मैं घर का बड़ा बेटा इन हालातो में खड़ा क्यों नहीं, इन जबानो से लड़ा क्यों नहीं,

एक आवाज कब्र पर आई हुई है 
कि हमें किसी ने बुलाया हुआ है 
कौन दे रहा है करने के बाद आवाज़ मेरी कब्र दूसरी खुदवाई गई है

गम बहुत हैं खुलासा कौन करें, 
मुस्कुरा देता हूं यूं ही तमाशा कौन करें,

 जिंदगी में मिलता हर कोई नहीं, किसी की आशा क्यों करें , 

इन दुनिया की जहां से दूर बैठा हूं मैं , जो बीत गया है उसे पर तमाशा क्यों करें

मेरे दिलों पर छाने वाले कि मेरी मौत पर मुस्कुराने वाले क्या तुझे अभी सुकून नहीं मेरी कब्र पर झूठे आंसू बहाने वाले

दुनिया से तेरे पास आने वाले, तुझे देख कर हम मुस्कुराने वाले 
, मेरे हाथों की लकीर में नहीं मगर, जिंदगी ने हमने तुमसे मिलाया तो है

मेरी कलम को बेड़ियों में मत जकड़, 

हम वह पंछी हैं जो आजाद होना चाहते हैं

 

एक चेहरा मुझे ख्वाब में दिखा करता था जब भी देखा नकाब में दिखा करता था,

और उसकी चेहरे की क्या बात , 

वह मुझे इस शराब में दिखा करता था

एक आवाज गुजरती थी मेरे कानों में, अब मुझे पसंद नहीं करती मैं अभी मरता हूं उसे पर वह मुझे अभी पसंद नहीं करती

उस  हद से गुज़रा गया मैं, जिंदा हूं फिर भी मारा गया हूं|| 

 कि जिस दौर में जिंदगी का साथ छोड़ देते हैं लोग, वहा  से मैं वारा गया हूं मैं 

उस  हद से गुज़रा गया मैं, जिंदा हूं फिर भी मारा गया हूं|| 

कलम इतिहास लिख रही है, उम्र के साथ लिख रही है 

कि मैं जिंदा रहूं ना रहूं, एक मेरी नाज लिख रही है

 कलम मेरी इतिहास लिख रही है 

 

 

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