इंडो पैसिफिक एनालिस्ट डेरेक जे ग्रॉसमैन ने कुरिला के बयान को भारत के अमेरिका पर भरोसा नहीं करने की वजह बताया है.


उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "यही कारण है कि भारत अमेरिका पर भरोसा नहीं करता. सेंटकॉम कमांडर ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी प्रयासों में अभूतपूर्व साझेदार बताया."

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "जनरल कुरिला ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने अपनी गवाही में फील्ड मार्शल मुनीर की पॉजिटिव अप्रोच की सराहना की है. कुरिला ने कहा है कि सेना प्रमुख ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें जाफर के पकड़े जाने की सूचना दी थी और उसे अमेरिका को प्रत्यर्पित करने की इच्छा व्यक्त की थी.\

कंवल सिब्बल ने कहा, "प्रत्यर्पण एक क़ानूनी प्रक्रिया है, जिसे सरकारी स्तर पर संभाला जाता है. ये काम पाकिस्तानी सेना प्रमुख के दायरे में नहीं आता है और इससे मालूम चलता है कि कैसे पाकिस्तान अमेरिका को झांसा देता है.\

दक्षिण एशिया मामलों के जानकार माइकल कुगलमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "जनरल मुनीर की अमेरिका की होने वाली यात्रा पर अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हैं. लेकिन अगर वो आते हैं तो सेंटकॉम का दौरा कर सकते हैं."

"जनरल मुनीर और जनरल कुरिला दो साल से भी कम समय में तीन बार मिल चुके हैं. कुरिला ने उनकी तारीफ़ की है. आमतौर पर अमेरिका के सैन्य अधिकारियों के पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ संबंध मज़बूत ही होते हैं."

वहीं सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कारगिल संघर्ष के दौरान राष्ट्रपति क्लिंटन के हस्तक्षेप ने पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक संकट से बचाया. इसने जनरल मुशर्रफ को तख्तापलट करने के लिए प्रोत्साहित किया. अब भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ट्रंप के पाकिस्तान को बचाने के कारण पाकिस्तान के सैन्य खर्च में 20 फीसदी की भारी वृद्धि हुई है."

उन्होंने कहा, "भारत पाकिस्तान तनाव में हर अमेरिकी हस्तक्षेप ने सिविलियन अथॉरिटी की क़ीमत पर पाकिस्तान सेना को मज़बूत किया है. ताजा हस्तक्षेप के बाद व्यापक रूप से अलोकप्रिय जनरल आसिम मुनीर ने न केवल अपनी छवि को दोबारा स्थापित किया बल्कि खुद को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट भी किया है. पाकिस्तान के इतिहास में केवल दूसरी बार ऐसा हुआ है."

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