राजेश कुमार सिद्धार्थ अध्यक्ष डॉक्टर अंबेडकर संवैधानिक महासंघ एवं किसान कांग्रेस प्रदेश महासचिव


यदि भगवान में शक्ति होती तो विदेशी हमें लूट नहीं ले जाते— सिद्धार्थ  *_ मलिहाबाद लखनऊ राजेश कुमार सिद्धार्थ अध्यक्ष डॉक्टर अंबेडकर संवैधानिक महासंघ नहीं बहुजन समाज से पूछा इस समाज के लोग जो आज पूजा अर्चना कर रहे हो क्या जब आप पर कष्ट होता है तो क्या यही लोग आपकी सहायता करते हैं यदि नहीं तो पाखंड क्यों विज्ञान और तर्कसंगत कार्य करें अन्यथा आपका धन-धर्म सब लूट जाएगा श्री सिद्धार्थ ने कहा बाबा साहेब अंबेडकर बुद्ध और परियार साहब ने आपको सब कुछ बता दिया है और यहां तक की कुछ दिन पहले आए हुए कोरोना ने आपको कसौटी पर सब कुछ दिखा दिया है की पाखंड अंधविश्वास केवल चल है भाग्य भगवान का ना तो खेल है केवल विज्ञान और तर्क का ही युग ????जब विदेशी आक्रमणकारी अखंड भारत को तोड़ रहे थे लुट रहे थे। बर्बाद कर रहे थे। तब नपुंसक अंध भक्त ओर उनके गुरु हनुमान चालीसा। महामृत्यु जय मंत्र दुर्गास्त्रोत ओर पूजा पाठ होम यज्ञ करके कोई ईश्वरीय शक्ति को बचाने को आह्वान कर रहे थे। हजारों साल का इतिहास गवाह हैं कि कभी किसी को बचाने कोई शक्ति नहीं आई। मगर इन गांडुभक्तो का क्या।!? उसे तो सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक मानसिक धार्मिक राजकीय शारीरिक प्रॉब्लम हो।     तो भी उसे धार्मिक समझ के उसे हाल करने के लिए मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा संप्रदाय पड़ा पुजारी कथा वाचक धर्मगुरु मौलवी फाधर के पास जाता है। ओर झूठे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं पता।✍️????????_*
ईश्वर की आवश्यकता ही नहीं है......

1)हम शिक्षा किससे प्राप्त करते हैं?
क्या ईश्वर से?
उत्तर - नहीं , स्कूल के शिक्षक के पास जाते हैं।
2)हम बीमार पड़ते हैं तो किसके पास जाते हैं?
ईश्वर के पास?
उत्तर- दवाखाने में डाक्टर के पास जाते हैं।
3) अपने ऊपर अन्याय अत्याचार होने पर हम कहां जाते हैं?
क्या ईश्वर के पास?
उत्तर- नहीं ,थाने में पुलिस के पास अथवा न्यायालय में न्यायाधीश के पास जाते हैं।
4) अपना पेट कैसे भरते हैं...?
ईश्वर देता है क्या?
उत्तर- नहीं, मेहनत करके कमाकर पेट भरना पड़ता है।
5)भूख लगने पर क्या याद आता है?
ईश्वर याद आता है क्या ?
उत्तर- नहीं,घर याद आता है।
6) हमें अनाज, किराना, कपड़े की जरूरत होती है तो क्या खोजते हैं?
ईश्वर लाकर देता है क्या?
उत्तर- नहीं, दूकान पर जाकर लाना पड़ता है।
7) मनुष्य को जीने के लिए अनाज, सब्जी वगैरह कौन पैदा करता है।
ईश्वर पैदा करता है क्या ?
उत्तर- नहीं, किसान पैदा करता है।
8) देश की रक्षा कौन करता है?
ईश्वर करता है क्या?
उत्तर- नहीं, सैनिक करते हैं।
ऐसे अनेक प्रश्न ईश्वर के संदर्भ में उपस्थित किए जा सकते हैं।
फिर बताइए? ईश्वर की वास्तव में जरूरत ही क्या है?
प्रबोधनकार ठाकरे- बाल ठाकरे के पिताजी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दादाजी कहते हैं---
ये ईश्वर - मंदिर और धर्म के नाम पर चलने वाले कर्मकांड सबके सब पुरोहितों की चलने वाली रोजगार गारंटी योजना है।
मंदिर में जाकर समाधान, शांति का अनुभव करनेवालों का ही शोषण होता है किन्तु जैसे   जोंक फूंक मारकर पशुओं का खून पीती है और इसका उन्हें पता भी नहीं चलता।
यह वैसा ही शोषण है यही भक्तों को मालूम नहीं पड़ता।
ईश्वर के नाम का फूंक मारकर शोषण अनजाने में निरंतर चलते रहता है ऐसे में ईश्वर है तो वह पंडे पुजारियों के पेट में है मंदिरों में नहीं,यह निश्चित है....।
ईश्वर नाम की संकल्पना भय और लालच के आधार पर निर्माण हुई है।
ईश्वर है यह विज्ञान ने अभी तक सिद्ध नहीं किया है।

भगवान बुद्ध ने ईश्वर के अस्तित्व को नकारा है।
बाबा साहेब ने ईश्वर के अस्तित्व को नकारा है, पेरियार रामास्वामी ने भी ईश्वर के अस्तित्व को नकारा है.....
कोरोना के संक्रमण काल में प्रत्येक धर्म के ईश्वरों ने अपने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे और क्या कहते थे कि भक्तों की सुविधा के लिए दरवाजे बंद किए गए हैं फिर उसके पहले किसकी सुविधा के लिए ये बाजार शुरू थे? अर्थात कोरोना ने भी कह दिया कि ईश्वर का भ्रम अपने अपने दिमाग से निकाल फेंको और विज्ञान वादी बनो!
यही वास्तविक व सच्ची शिक्षा है।

राजेश कुमार सिद्धार्थ अध्यक्ष डॉक्टर अंबेडकर संवैधानिक महासंघ एवं किसान कांग्रेस प्रदेश महासचिव

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