सभी राज्यों में समान पाठ्यक्रम की कवायद, कम नहीं इस राह में चुनौतियां


 शिक्षा का उद्देश्य डिग्री लेकर मात्र रोजगार प्राप्त करना नहीं है, यह उसके उद्देश्यों में से एक अवश्य है। शिक्षा के माध्यम से हम किसी को अंतत: एक बेहतर नागरिक बनाने की कोशिश करते हैं। यह सारी प्रक्रिया एक निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होती है। ऐसी चर्चाएं भी सुनने को मिलती रही हैं कि सीबीएसई के सामने राज्य बोर्ड कई मामलों में उपेक्षित हो जाते हैं और प्रतियोगिता में आधार सीबीएसई को ही बनाया जाता है। इसके अनेक सकारात्मक पहलू हैं, परंतु इसके समक्ष कई चुनौतियां भी हैं जिसका उचित समाधान किए बिना इस योजना को लागू करना हितकर नहीं होगा।

सभी राज्यों में समान पाठ्यक्रम की कवायद, कम नहीं इस राह में चुनौतियां

एक देश एक पाठ्यक्रम एक अच्छी योजना है

राष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रतियोगिता में कोई विद्यार्थी भाग लेता है तो सभी बच्चे यदि एक समान पाठ्यक्रम पढ़ कर आए हुए हों तो उनके बीच प्रतिस्पर्धा का आधार भी समान रहेगा। वैसे इसकी राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं लिहाजा हमें इस विषय को समग्रता में समझना होगा।

 

 अनुराग सिंह। शिक्षा का उद्देश्य डिग्री लेकर मात्र रोजगार प्राप्त करना नहीं है, यह उसके उद्देश्यों में से एक अवश्य है। शिक्षा के माध्यम से हम किसी को अंतत: एक बेहतर नागरिक बनाने की कोशिश करते हैं। यह सारी प्रक्रिया एक निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होती है। ऐसी चर्चाएं भी सुनने को मिलती रही हैं कि सीबीएसई के सामने राज्य बोर्ड कई मामलों में उपेक्षित हो जाते हैं और प्रतियोगिता में आधार सीबीएसई को ही बनाया जाता है। इसके अनेक सकारात्मक पहलू हैं, परंतु इसके समक्ष कई चुनौतियां भी हैं जिसका उचित समाधान किए बिना इस योजना को लागू करना हितकर नहीं होगा।

 

भारत एक वैविध्यपूर्ण देश है। इसकी विविधता केवल भौगोलिक नहीं, अपितु सामाजिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक भी है। हम जब पाठ्यक्रम का निर्धारण कर रहे हों तो हमें इसका ख्याल रखना चाहिए। एक क्षेत्र का जो गर्व और गौरव है, यह आवश्यक नहीं कि दूसरे क्षेत्र का भी ठीक वही हो। जैसे वर्तमान समय में पढ़ाए जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भारत का पूवरेत्तर हिस्सा व उसका योगदान अन्य क्षेत्र की तुलना में अपेक्षाकृत कम दिखाई देता है। बिना एक देश और एक पाठ्यक्रम हुए ऐसी स्थिति है तो बाद में यह और भी खराब हो सकती है। राज्य यदि अपने अनुसार पाठ्यक्रम का निर्धारण करते हैं तो वे कम से कम अपने राज्य के गौरवशाली इतिहास को विस्तार में पढ़ा सकेंगे और उनका इतिहास उपेक्षित नहीं होगा। दूसरी बात यह है कि देश के विद्यार्थी भिन्न-भिन्न भौगोलिक स्थितियों से संबंध रखते हैं। बचपन अर्थात प्रारंभिक शिक्षा अपने परिवेश को जानने का सवरेत्तम समय है। मनोविज्ञान के अनुसार देखें तो बहुत प्रारंभिक अवस्था में अपने परिवेश को हमारा मस्तिष्क जिस तरह देखता है उसका असर पूरे जीवन पर होता है, ऐसे में क्षेत्र विशेष के बच्चे को अपने विशिष्ट परिवेश को जानने का प्रयास बचपन में पूरा हो तो बेहतर होगा। यदि एक देश एक पाठ्यक्रम होगा तो उसमें हो सकता है कि सभी भौगोलिक स्थितियों के बारे में समान रूप से चर्चा हो जाए, परंतु किसी एक क्षेत्र के बारे में विशिष्ट चर्चा नहीं होगी। जबकि एक पहाड़ी क्षेत्र के विद्यार्थी को पहाड़, तटीय क्षेत्र के विद्यार्थी को समुद्र, इसी तरह अपने परिवेश से जुड़ी जानकारियों को उन्हें विशिष्ट रूप से पढ़ाया जाना चाहिए, जिसकी राह में समस्याएं आ सकती हैं।एक महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान समय में शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और यदि इस तरह के नियमन की बात चल रही है तो सामान्य तौर पर हमारे यहां जो संघीय ढांचा है उसमें केंद्र हावी होगा और राज्य की उपेक्षा होने की संभावना है। इससे केंद्रीकरण की प्रवृत्ति बढ़ेगी। राज्य सरकारों और केंद्र सरकार का जो रवैया है उसमें राजनीति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। इस बात की संभावना हो सकती है कि फिर राज्य सरकारें पाठ्यक्रम में किसी विसंगति को लेकर अपने उत्तरदायित्व से थोड़ा पीछे भी हटने की कोशिश करें। आम तौर पर इस तरह की स्थितियों में यह देखा गया है कि अंतत: एक सामान्य नागरिक का ही नुकसान हुआ है।कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिनके तार्किक उत्तर दिए बिना हम इस योजना के बारे में आगे नहीं सोच सकते हैं। हमें पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण नहीं करना है, अपने देश के सामाजिक-सांस्कृतिक वैविध्य को ध्यान में रखते हुए इसके बारे में सोच कर आगे बढ़ना होगा, उनके यहां इसका प्रमुख कारण बाजार व अन्य तत्व रहे हैं, परंतु हमारी अपनी आवश्यकताएं उनके जैसी ही हों यह जरूरी नहीं। एक देश एक पाठ्यक्रम एक अच्छी योजना है, परंतु यदि इसे वैकल्पिक रखा जाए और लोगों को यह छूट दी जाए कि वे स्वयं चयन करें कि उन्हें किस पाठ्यक्रम में रुचि है तो ज्यादा बेहतर होगा।

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