कांग्रेस ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में शहीद भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि गलवान घाटी की उस घटना को 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी आज तक चीन को ‘लाल आंख’ दिखाने में नाकाम साबित हुए हैं.
कांग्रेस ने आगे लिखा कि गलवान घटना के बाद पूरा देश PM मोदी से चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद में था, वहीं उन्होंने चीन को ‘क्लीन चिट’ देकर भारतीय जवानों के पराक्रम का अपमान तक कर दिया. नरेंद्र मोदी का ये चीनी प्रेम भारत की एकता और अखंडता के लिए कल भी घातक था और आज भी विनाशकारी है.
प्रेम, बलिदान, साहस और शौर्य
कांग्रेस ने अपने पोस्ट में लिखा कि 15 जून 2020 के दिन, देश की रक्षा करते हुए गलवान घाटी में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले वीर जवानों को कोटिश: नमन. मातृभूमि के लिए आपका प्रेम, बलिदान, साहस और शौर्य युगों-युगों तक याद किया जाएगा.
इन लोगों ने दी थी शहादत
गलवान घाटी में शहीद होने वालों में कर्नल संतोष बाबू, नायब सूबेदार नुदूराम सोरेन, नायब सूबेदार मंदीप सिंह, सूबेदार सतनाम सिंह, हवलदार के. पलानी, हवलदार सुनील कुमार, हवलदार बिपुल रॉय, लांस नायक दीपक सिंह, सिपाही राजेश ओरंग, सिपाही कुंदन कुमार, सिपाही गणेश राम, सिपाही चंद्रकांत प्रधान, सिपाही अंकुश, सिपाही गुरबिंदर, सिपाही गुरतेज सिंह, सिपाही चंदन कुमार, सिपाही कुंदन कुमार, सिपाही अमन कुमार, सिपाही जयकिशोर सिंह और सिपाही गणेश हंसदा शामिल हैं.
राहुल गांधी ने सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पांच साल पहले लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि उनका अदम्य साहस हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेगा. लोकसभा में विपक्ष के नेता ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा कि आज से पांच साल पहले हमारे बहादुर सैनिकों ने गलवान घाटी में देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था.
सच्चे सपूतों को सलाम
उन्होंने कहा कि उनकी बहादुरी, बलिदान और अदम्य साहस हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेगा. राहुल गांधी ने कहा कि भारत माता के इन सच्चे सपूतों को सलाम. जय हिंद. वर्ष 2020 में चीनी सैनिकों के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था जो कई दशकों के दौरान दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था.
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