प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने अभी हाल ही में 2019 के कुछ आंकड़ों के बिनाह पर बताया है कि भारतीय असल में कितना काम करते हैं. ये जानकारियां काफी चौंकाने वाली हैं. गोआ के लोग कम काम कर के भी बेहतर आर्थिक तरक्की हासिल कर रहे हैं. जबकि गुजरात के लोगों का लंबी देर तक काम करने में कोई स


काम के घंटों को लेकर पिछले कुछ महीने भारत में विवादों वाले रहे हैं. जब कुछ कॉरपोरेट मालिकों ने एक हफ्ते में 70 घंटे और उससे अधिक काम की वकालत की तो खूब हल्ला हुआ. कहा जाने लगा कि आठ घंटे काम का बुनियादी अधिकार बरसों के संघर्ष के बाद हासिल हुआ है. देश की तरक्की और दूसरे बहाने से इसे छीनने की कोशिश हो रही है.

 

पर दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इस विचार का खुलकर समर्थन किया और इसे देशहित में जरुरी बताया. सवाल है कि आज की तारीख में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर समझें तो किस राज्य के लोग 70 घंटे काम वाले इस खांचे में किस हद तक फिट बैठते हैं, और कहां के लोग कम काम कर के भी अधिक तरक्की हासिल कर रहे हैं.

एक भारतीय औसतन 42.2 घंटे हफ्ते में काम करता है

 

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने अभी हाल ही में 2019 के कुछ आंकड़ों के बिनाह पर बताया है कि भारतीय असल में कितना काम करते हैं. ये जानकारियां काफी चौंकाने वाली हैं. गोआ के लोग कम काम कर के भी बेहतर आर्थिक तरक्की हासिल कर रहे हैं. जबकि गुजरात के लोगों का लंबी देर तक काम करने में कोई सानी नहीं.

सरकार ही के अध्ययन के मुताबिक एक औसत भारतीय हफ्ते में 42.2 घंटे काम करता है. अगर राज्य दर राज्य इसे आंकड़े को समझें तो पाएंगे कि सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम करने वालों में उत्तर भारतीय खासकर हिंदी पट्टी के लोग काफी पीछे हैं.

अगर हम राज्य दर राज्य इस पर गौर करें तो पाएंगे कि दिल्ली वाले औसत तौर पर हर दिन कम से कम 8.3 घंटे काम पर बिताते हैं. वहीं, गोवा के लोग औसत हर रोज 5.5 घंटा काम करते हैं. गोवा की ही तरह उत्तर पूर्व के राज्यों में भी औसतन हर रोज 6 घंटे लोग काम पर बिताते हैं.


70+ घंटे काम करने वाले लोग सबसे ज्यादा कहां

70 घंटे से अधिक काम करने वालों में गुजरात की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. करीब 7 फीसदी गुजराती और पंजाबी हफ्ते में 70 घंटे तक काम में बिताते हैं. इनके बाद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और केरल का नंबर है. महाराष्ट्र के 6.6 फीसदी, पश्चिम बंगाल के 6.2 फीसदी और केरल के 6.1 फीसदी लोग एक सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम करते हैं.

वहीं, इस पैमाने पर पिछलग्गू राज्यों में बिहार की स्थिति काफी खराब है. बिहार के महज 1 फीसदी के करीब लोग सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम करते हैं. बिहार ही की तरह असम के महज 1.6 फीसदी, झारखंड के 2.1 फीसदी केवल लोग 70 घंटे से ज्यादा काम करते हैं.

इस तरह से अगर देखा जाए तो गुजरात के पास सबसे बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो 70 घंटे से भी ज्यादा सप्ताह में काम करते हैं. वहीं, बिहार के पास ऐसे लोगों की तादाद सबसे कम है. 70 घंटे काम का मतलब है कि शख्स सप्ताह में कम से कम 6 दिन साढ़े 11 घंटे हर रोज काम करे.

गांव या शहर? ज्यादा देर काम कहां करते हैं लोग

शहरों में रहने वाले लोग औसतन हर रोज 7.8 घंटे काम करते हैं, जबकि ग्रामीण भारत के लोग 6.7 घंटे काम करते हैं.

शहरों में ज्यादा काम करने वाले राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात के हैं. जबकि कम देर काम करने वाले गोवा, मणिपुर और मेघालय के हैं.

ग्रामीणों में उत्तराखंड, पंजाब, झारखंड के लोग सबसे ज्यादा देर काम करते हैं. तो असम, नागालैंड और गोवा के लोग सबसे कम देर काम करते हैं.

पुरुष या महिलाएं? ज्यादा देर काम कौन करता है

शहर और गांव – दोनों में महिलाएं औसतन हर रोज पुरुषों के मुकाबले कम काम करती हैं. मगर यहां एक पेंच है.

पेंच ये कि महिलाएं घरेलू गतिविधियों में बिना मेहनताना वाला काम पुरुषों से अधिक करती हैं.

एक और जरुरी बात, आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा लेकर पैसे कमाने वाली महिलाओं को कम खाली समय मिलता है जिसमें वे आराम या फिर मनोरंजन कर सकें.

सरकारी कर्मचारियों का काम क्या आसान है?

एक और दिलचस्प बात, न सिर्फ ग्रामीण भारत बल्कि शहरों में भी औसतन सरकारी कर्मचारी निजी कामगारों की तुलना में हर रोज एक घंटे कम काम करते हैं.

पर तेलंगाना, राजस्थान के शहरी इलाकों में काम कर रहे सरकारी कर्मचारी असम, मेघालय, केरल के अपने सहकर्मियों की तुलना में औसतन दो घंटे रोज अधिक काम करते हैं.

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