जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ 10 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर होने जा रहे हैं. हाल के वर्षों में देश के सबसे प्रभावशाली मुख्य न्यायाधीशों में से एक रहे जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल की कई वजहों से आलोचना हो रही है.
लोगों को उनसे उम्मीदें थीं कि वो सर्वोच्च न्यायालय के कामकाज का तरीक़ा बदलेंगे, आम नागरिकों के लिए इंसाफ़ हासिल करना आसान बनाएंगे और “बहुसंख्यकवादी सरकार” पर संवैधानिक नियंत्रण रखेंगे.
शायद उनसे उम्मीदें ही इतनी ज़्यादा थीं कि न्यायपालिका पर नज़र रखने वाले बहुत से लोग चीफ़ जस्टिस के तौर पर उनके कार्यकाल को निराशा के साथ देख रहे हैं.
उनके न्यायिक फ़ैसलों के साथ-साथ उनके निजी बर्ताव पर भी चर्चा हो रही है. जस्टिस चंद्रचूड़, अपने भाषणों और इंटरव्यू से मीडिया की सुर्ख़ियों में बने रहे, ऐसा इतिहास में उनसे पहले शायद ही देखा गया हो.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ आज यानी 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। 11 नवंबर को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बुलडोजर जस्टिस पर अपना आखिरी फैसला सुनाया। उन्होंने बुलडोजर जस्टिस की आलोचना की। सीजेआई ने कहा कि यह कानून के तहत अस्वीकार्य है। अब लोगों के मन में यह सवाल है कि सेवानिवृत्त होने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ आखिर क्या काम करेंगे?
हर काम में ईमानदार रहना चाहिए
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मेरा निजी विश्वास है कि जब आप सीजेआई या न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी लोग आपको हमेशा न्यायाधीश या सीजेआई के रूप में देखते हैं। समाज एक निश्चित व्यवहार की अपेक्षा करता है। मैं यह मानता हूं कि मुझे अपने पद के प्रति और सेवानिवृत्ति होने के बाद हर काम में ईमानदार रहना चाहिए।"
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