किसान कल्याण समिति के नेतृत्व में पश्चिमी बहगुल नदी पर किसानों द्वारा कर सेवा से बनाया गया कच्चा बांध झमाझम मूसलाधार बारिश में कट गया।


किसान कल्याण समिति के नेतृत्व में पश्चिमी बहगुल नदी पर किसानों द्वारा कर सेवा से बनाया गया कच्चा बांध झमाझम मूसलाधार बारिश में कट गया।
आपको बताते चलें बाइबल नदी पर खमरिया गांव के पास पिछले एक दशक से किसान कल्याण समिति कर सेवा से कच्चे बांध का निर्माण करती है जिससे रामपुर जनपद की बिलासपुर और बरेली जनपद की बहेड़ी तथा मीरगंज तहसील के लगभग 150 ग्रामों के किसान फसल की सिंचाई का लाभ उठाते हैं।
किसान नेता एवं पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार ने बताया कि वह पिछले दो दशक से भी अधिक समय से बहगुल नदी पर खमरिया के पास कृषि भूमि की सिंचाई हेतु पक्के बांध बनवाने की सरकार से मांग करते चले आ रहे हैं। किसान नेता श्री बरार ने अब तक न्याय संवाददाता को बताया कि ब्रिटिश शासन काल में बहगुल नदी पर बना पक्का बांध जो की सन 1925 में टूट गया था जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। बताया जाता है कि उक्त बांध से रामपुर तथा बरेली जिले के 150 गांव के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलता था। उन्होंने बताया कि सन 1925 के बाद से रामपुर जनपद की बिलासपुर तहसील तथा बरेली जनपद की बहेड़ी तथा मीरगंज तहसील के 150 गांव के किसानों को सिंचाई के गंभीर संकट से जूझना पड़ रहा है। किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री बरार ने उत्तर प्रदेश सरकार से खमरिया के पास बहगुल नदी पर पक्का रेगुलेटर बांध बनवाए जाने की पहल की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला।
किसानों का कहना है कि किसान कल्याण समिति सन 2016 से लगातार प्रतिवर्ष जिला प्रशासन से बहगुल नदी पर खमरिया गांव के पास कच्चे बांध बनाकर रामपुर तथा बरेली जिले के 150 गांव को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराती है।
किसानों ने बताया कार सेवा द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया कच्चे बांध को जून जुलाई माह में हर वर्ष बहुल नदी अपने आगोश में समा लेती है।
बताया जाता है कि 16 17 जून को हुई मूसलाधार बरसात से बहगुल नदी पर खमरिया गांव के पास बना कच्चा बांध कट जाने से एक बार फिर किसनों के चेहरे पर उदासी छा गई। इस पर पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार ने किसानों को शांतुना दी और कहा कि जब तक यह किसान नेता जीवित है तब तक किसानों को सिंचाई का संकट उत्पन्न नहीं होने देगा। भले ही सरकार पक्का रेगुलेटर बांध बहुल नदी पर खमरिया गांव के पास बनाए या ना बनाएं।

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