संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर चलाए जा रहे तालिबानी हंटर पर बेहद खफा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अब तालिबान को सबक सिखाने के लिए ठान लिया है। यूएन ने कह दिया है कि ऐसी स्थिति में तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता नहीं दी जा सकती।


संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान में महिलाओं पर ढाये जा रहे जुल्मों को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) बेहद सख्त हो गया है। यूएन की राजनीतिक प्रमुख ने अफगानिस्तान के तालिबान शासकों और लगभग 25 देशों के दूतों के बीच होने वाली पहली बैठक में अफगानिस्तान की किसी भी महिला प्रतिनिधि को शामिल न किए जाने की तीखी आलोचना का जवाब देते हुए बुधवार को कहा कि हम बैठक के प्रत्येक सत्र में महिला अधिकारों का मुद्दा उठाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव रोजमेरी डिकार्लो ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि रविवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय बैठक एक प्रारंभिक प्रयास है, जिसका उद्देश्य तालिबान को 'अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहने, अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और मानवाधिकारों का पालन करने के लक्ष्य पर जोर देना है।

 

कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान के दूतों के साथ संयुक्त राष्ट्र की यह तीसरी बैठक है, हालांकि पहली बार तालिबान इस बैठक में शामिल होगा। उन्हें पहली बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था और दूसरी बैठक में उन्होंने शामिल होने से इनकार कर दिया था। डिकार्लो ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक में यूरोपीय संघ, इस्लामिक सहयोग संगठन, अमेरिका, रूस, चीन और अफगानिस्तान के कई पड़ोसी देशों के दूत शामिल होंगे। तालिबान ने साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था क्योंकि दो दशकों के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो की सेनाएं वापस चली गई थीं। तालिबान के काबिज होने के बाद से किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर उन्हें अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है।

तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता मुश्किल

वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के तौर पर मान्यता देना असंभव है क्योंकि वहां महिलाओं के पढ़ने और नौकरी करने पर प्रतिबंध है और वह पुरुषों के बिना बाहर नहीं जा सकती हैं। डिकार्लो ने जब मई में काबुल में तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय चार बातों को लेकर चिंतित है, जिसमें समावेशी सरकार का अभाव, मानवाधिकारों का हनन विशेष तौर पर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों का, आतंकवाद और मादक पदार्थों के व्यापार को खत्म करना शामिल है।

उन्होंने कहा, ''बैठक के हर सत्र में समावेशी शासन, महिला अधिकार, मानवाधिकार जैसे मुद्दे को उठाया जाएगा।'' डिकार्लों ने कहा, ''यह महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और हम बार-बार इन पर चर्चा करेंगे।'' ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने तालिबान के साथ होने वाली बैठक में अफगानिस्तान की महिलाओं और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को शामिल न करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की आलोचना की थी। 

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