रिटायरमेंट के बाद भी चुप नहीं बैठेंगे सत्यपाल मलिक:बोले- राज्यपाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद खुलकर बोलूंगा, बस 75 दिन इंतजार कीजिए
अपने बयानों से भाजपा और केंद्र सरकार को घेरने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक 75 दिन बाद, यानी 30 सितंबर को रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद CBI उनसे पूछ-ताछ कर सकेगी। कई लोगों को लगता है कि रिटायरमेंट बाद मलिक साइडलाइन हो जाएंगे, लेकिन भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में मलिक ने साफ किया है कि वे चुप बैठने वाले नहीं हैं। रिटायरमेंट के बाद वे आंदोलनों से जुड़ेंगे। जनता के मुद्दों को अपने अंदाज में सियासी तरीके से उठाएंगे।
BJP सरकार के पिछले 8 साल के कार्यकाल में सत्यपाल मलिक ऐसे पहले राज्यपाल रहे हैं, जिनका 4 राज्यों में तबादला किया गया। अपने बयानों से लगातार सुर्खियों में बने रहे। मौका मिला तो BJP और केंद्र सरकार की आलोचना से भी नहीं चुके।
30 सिंतबर के बाद मलिक क्या करेंगे, पिछले 5 साल में मलिक किन-किन राज्यों में राज्यपाल रहे और वहां किस तरह से विवादों से उनका नाता रहा। आज की इस स्टोरी में हम सबकुछ जानेंगे।
सबसे पहले उनका लेटेस्ट इंटरव्यू पढ़ते हैं...
सवाल: आपका कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है। अब आगे क्या करेंगे?
मलिक: देखिए अब आगे चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लूंगा, लेकिन आंदोलनों से जुड़ा रहूंगा। किताब लिखूंगा।
सवाल: भाजपा सरकार के 8 साल के दौरान आप पहले ऐसे राज्यपाल रहे, जिनका 4 बार तबादला किया गया। आप कैसा महसूस करते है?
मलिक: इसके बारे में अभी कुछ नहीं बोलूंगा। मैं रिटायरमेंट के बाद बोलूंगा।
सवाल: राज्यपाल रहते आपने केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी की। BJP के खिलाफ बोलते रहे। किसान आंदोलन का समर्थन करते रहे। ऐसा क्यों?
मलिक: मैंने खिलाफ नहीं बोला। बात उनके पक्ष की थी। अगर उन्हें समझ में आ जाती। आखिरकार उन्हें वहीं करना पड़ा। अगर बात मान लिए होते तो किसान उनकी जय जयकार करते।
सवाल: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए आपने आरोप लगाया था कि आपको रिश्वत की पेशकश की गई। उस आरोप पर CBI जांच करा रही है। आपको भी जांच से गुजरना होगा। आप क्या कहना चाहेंगे?
मलिक: मैं पद छोडूंगा, तब CBI को बताऊंगा।
PM मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भास्कर को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने यह बात कही थी।
अब एक-एक करके सत्यपाल मलिक से जुड़े विवाद, उनके सुलगते बयान और तबादलों की कहानी जानते हैं...
पहले बात उनके बयानों की...
1. एक पत्रकार के जरिए पहली बार विवादों में घिरे मलिक
बात तब की है जब सत्यपाल मलिक बिहार के राज्यपाल थे। राजस्थान के बाड़मेर जिले के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को SC-ST केस में गिरफ्तार करके पटना ले आया गया था। तब पत्रकार ने सत्यपाल मलिक पर गंभीर आरोप लगाए थे कि मलिक के प्रभाव के चलते उसे फर्जी SC-ST केस में फंसाया गया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जांच के लिए आदेश देना पड़ा था।
2. पटना में कश्मीर से ज्यादा मर्डर होते है…बयान से सुर्खियों में आए मलिक
7 जनवरी 2019, तब मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। ANI के मुताबिक इसी दिन मलिक ने बयान दिया कि 'जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था किसी भी अन्य राज्य से अच्छी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड ऑर्डर की तुलना बिहार की राजधानी पटना से की। उन्होंने कहा है कि पटना में एक दिन में जितनी हत्याएं हो जाती हैं, उतनी हत्याएं कश्मीर में एक सप्ताह में होती हैं।
3. 250 किसान मर गए, कोई बोला तक नहीं, यह तो हृदयहीनता है- मलिक
मलिक ऐसे पहले राज्यपाल थे, जिन्होंने न केवल कृषि कानून का खुले तौर पर विरोध किया बल्कि केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लेने से नहीं चुके। 17 मार्च 2021 को राजस्थान के झुंझुनूं में मलिक ने कहा था कि कुतिया भी मर जाती है तो उसके लिए हमारे नेताओं का शोक संदेश आता है। 250 किसान मर गए। कोई बोला तक नहीं। यह हृदयहीनता है। किसान अपना घर बार छोड़कर आए थे। हादसों में मरने वालों के लिए भी आप संवेदना भेजते हो। उनको नहीं भेज रहे हो।
4. 300 करोड़ के रिश्वत में RSS का नाम, बाद में मांगी माफी
अक्टूबर 2021 में मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें (मंजूरी के लिए) लाई गईं। एक अंबानी और दूसरी RSS से संबंध रखने वाले व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन (PDP-भाजपा) सरकार में मंत्री थे। कहा गया कि इन दो फाइलों को मंजूरी देते हैं, तो उन्हें रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपए मिलेंगे। उन्होंने सौदे को रद्द कर दिया।
हालांकि, बाद में विवाद बढ़ने पर उन्होंने कहा कि इस मामले का RSS से कोई मतलब नहीं। उनसे गलती हो गई और वे माफी चाहते हैं।
अब बात मलिक के तबादले की...
पहली बार राज्यपाल बने तो 10 महीने में ही तबादला हो गया
पहली बार मलिक को 30 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। महज 10 महीने बाद ही उन्हें बिहार से हटाकर जम्मू कश्मीर भेज दिया गया।
23 अगस्त 2018 को वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बने। उनके राज्यपाल रहते ही अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 को खत्म किया गया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बने।
दो महीने बाद, यानी 30 अक्टूबर 2019 को मलिका का एक बार फिर तबादला हुआ और गोवा जैसे छोटे राज्य का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया, लेकिन मलिक वहां भी ज्यादा दिन नहीं टिक सके।
महज नौ महीने बाद अगस्त 2020 में उन्हें मेघालय का राज्यपाल बना दिया गया।
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