राजस्थान के चूरू में जगुआर लड़ाकू विमान की दुर्घटना ने भारतीय वायुसेना में चिंता बढ़ा दी है. यह इस साल की तीसरी घटना है. जगुआर 45 वर्षों से देश की सेवा में जुटा है. इस दौरान वो 50 से अधिक दुर्घटनाओं का सामना कर चुका है.


राजस्थान के चुरू में बुधवार को जगुआर लड़ाकू विमान हादसे का शिकार हो गया, जिसमें भारतीय वायुसेना के दो पायलट की जान चली गई. इस घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या सेना के इस हीरो को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समय आ गया है. इस साल मार्च के बाद से इस लड़ाकू विमान से जुड़ा यह तीसरा हादसा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वायुसेना में अपनी 45 साल की सेवा के दौरान इस विमान बेड़े को 50 से ज्यादा बड़ी और छोटी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा है, जिनमें से कुछ जानलेवा भी रही हैं.

 

भारतीय वायु सेना को अपना पहला जगुआर 1979 में मिला था. जगुआर से लैस पहला स्क्वाड्रन नंबर 14 स्क्वाड्रन था, जिसे ‘बुल्स’ के नाम से भी जाना जाता था. यह अंबाला वायु सेना स्टेशन पर स्थित था. भारत ने शुरुआत में जगुआर को शमशेर नाम से खरीदा था. इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा लाइसेंस के तहत भारत में किया गया था. वायु सेना वर्तमान में छह स्क्वाड्रनों में लगभग 115 से 120 SEPECAT जगुआर विमानों का संचालन करती है.

कारगिल जंग में हुआ था इस्तेमाल

जगुआर विमान का इस्तेमाल 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी किया गया था, लेकिन सीधे बॉम्बिंग ऑपरेशन के लिए नहीं. इसके बजाय उसने एक महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाई. भारतीय वायुसेना 2027-28 से अपने पुराने जगुआर मॉडलों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूरी तरह से चरणबद्ध तरीके से विमानों को हटाने की योजना 2035-2040 तक है.

20 घंटे के रखरखाव की जरूरत

लगभग 50 से अधिक दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं. 2015 तक लगभग 65 विमान नष्ट हो गए. प्रत्येक उड़ान घंटे के लिए लगभग 20 घंटे के रखरखाव की आवश्यकता होती है. विशेषज्ञों के अनुसार, जगुआर लड़ाकू विमानों से संबंधित अधिकांश दुर्घटनाएं रोल्स रॉयस/टर्बोमेका एडोर एमके 804 और एमके 811 इंजनों में खराबी के कारण हुईं.

एक रिपोर्ट में रॉयल एयर फ़ोर्स के पूर्व प्रशिक्षक टिम डेविस ने कहा, इंजन और एवियोनिक्स अपग्रेड के बाद भी आपको एयरफ़्रेम थकान की समस्या का सामना करना पड़ता है. आप विमान का केवल एक सीमित हिस्सा ही बदल सकते हैं. बात यहीं आकर खत्म होती है. एक पायलट की मौत भी एक त्रासदी है और विमान जितना पुराना होता जाता है, जोखिम भी उतना ही बढ़ता जाता है.

ब्रिटेन, फ्रांस, इक्वाडोर, नाइजीरिया और ओमान जैसे देशों के बेड़े में जगुआर विमान हुआ करते थे. उन्होंने बहुत पहले ही उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया है और उनमें से कुछ को हवाई संग्रहालयों में रखा गया है.

 

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