मोबाइल खतरा बनता जा रहा है. बच्चों में समय के साथ स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा बढ़ गया है. हाल ही में एक स्टडी सामने आई है जो बताती है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चे प्रतिदिन 2.2 घंटे स्क्रीन के सामने समय बिताते हैं. स्टडी में यह भी बताया गया है कि जितना समय बच्चे स्क्रीन के सामने बिता रहे हैं य


आज कल आपने मेट्रो से लेकर घर तक में देखा होगा कि बच्चों के हाथों में मोबाइल ज्यादातर समय दिखाई देता है. खाना खाने से लेकर वो शांति से बैठ जाएं और रोए न इसके लिए बचपन से ही बच्चों के हाथों में फोन थमा देने का ट्रेंड काफी कॉमन हो गया है. इसी बीच एक ऐसी स्टडी सामने आई है जो बताती है कि कैसे भारत में बच्चों का फोन की स्क्रीन देखने का समय बढ़ता जा रहा है.

 

एक स्टडी में सामने आया है कि भारत में 5 साल से कम उम्र का एक बच्चा प्रतिदिन लगभग 2.2 घंटे स्क्रीन के सामने बिताता है, जो बच्चों की स्क्रीन के सामने समय बिताने की अनुशंसित सीमा से ज्यादा ही नहीं बल्कि दोगुना है.

बच्चों में बढ़ता जा रहा है स्क्रीन टाइम

एम्स रायपुर के आशीष खोबरागड़े और एम. स्वाति शेनॉय की ओर से क्यूरियस नामक पत्रिका में पब्लिश स्टडी में कई सारे चौंकाने वाली बातें सामने आई है. स्टडी के मुताबिक 2 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम का समय 1.2 घंटे है, जबकि साथ ही गाइडलाइन में यह भी कहा जाता है कि इस उम्र के बच्चों को स्क्रीन टाइम बिल्कुल नहीं दिया जाना चाहिए. इस उम्र के बच्चे बिल्कुल भी फोन न देखें. इसके बावजूद इस एज के बच्चे अकसर फोन देखते दिखाई देते हैं. इस स्टडी में 2,857 बच्चों पर रिसर्च की गई. साथ ही 10 अध्ययनों का मेटा-विश्लेषण किया.

स्क्रीन टाइम से क्या नुकसान होता है?

आज के समय में बच्चों को शांत करने के लिए, उनका ध्यान भटकाने के लिए और उन्हें इंगेज रखने के लिए फोन दे देना बहुत आम सी बात हो गई है. साथ ही जब इस चीज के नुकसान के बारे में बात की जाती है तो ज्यादातर लोगों को लगता है कि इससे बच्चों की आंखों में परेशानी हो सकती है. हालांकि, आंखों में परेशानी के साथ-साथ ज्यादा स्क्रीन टाइम से और भी बहुत सी परेशानियां हो सकती हैं.

स्टडी के अनुसार, स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से बच्चों के भाषा विकास में कमी आती है, उनके भाषा को सीखने में कमी आती है. संज्ञानात्मक काम (cognitive function) में कमी और सामाजिक कौशल विकास में भी दिक्कत पैदा होती है. साथ ही मोटापे, नींद की खराब आदतों जैसी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है.

कैसे करें बचाव?

स्टडी में जहां ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ता है यह बताया गया है. वहीं, दूसरी तरफ इस बात पर भी रोशनी डाली गई है कि स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए क्या किया जाए. कैसे इस जाल से बच्चों को बचाया जाए.

स्टडी में कहा गया है कि ज्यादा स्क्रीन समय के नुकसानदायक प्रभाव को कम करने के लिए घर में टेक-फ्री जोन बनाना चाहिए. कितना देर बच्चे फोन देखेंगे यह तय होना चाहिए. साथ ही बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताए, उनके साथ ऑफलाइन गेम खेले. उनसे बातें करें यह सब करने से भी बच्चे स्क्रीन टाइम से बचेंगे.

पेरेंट्स को भी फॉलो करनी होगी गाइडलाइन

फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा, 5 साल से कम उम्र के करीब 60-70% बच्चे स्क्रीन पर जरूरत से ज्यादा समय बिता रहे हैं – चाहे वो मोबाइल फोन हो, लैपटॉप हो या टीवी हो. यह उनमें कुछ गंभीर शारीरिक और व्यवहार संबंधी समस्याओं की वजह बन रहा है. उन्होंने कहा कि पेरेंट्स को अपने बच्चों को खाना खिलाते समय या रोते समय कितनी देर स्क्रीन दिखानी है इसकी एक लीमिट तय करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा, पेरेंट्स को अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बनना चाहिए. बच्चों से पहले पेरेंट्स को फोन का इस्तेमाल करना कम करना चाहिए.

हाल ही में गाजियाबाद के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने कहा, मेरे पास 10-12 साल के बच्चे भी आते हैं जो अपने पेरेंट्स के साथ आते हैं और शिकायत करते हैं कि अगर पेरेंट्स उनके इंटरनेट इस्तेमाल पर नजर रखने की कोशिश करते हैं तो वे बेचैन हो जाते हैं. वो चिढ़ जाते हैं और अक्सर आक्रामक व्यवहार करते हैं.


 

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