असम की हिमंत सरकार 3500 बीघा जमीन के लिए 1400 परिवारों के खिलाफ अभियान चला रही है. धुबरी जिले में जारी सबसे बड़ा अभियान थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए है. तीन राजस्व गांवों, चरुआबाखरा, संतोषपुर और चिरकुटा पीटी 1 में ये ऑपरेशन मंगलवार सुबह शुरू हुआ. दोपहर के आसपास हिंसा भड़क उठी, जब लोगों ने एक बुलडोजर पर पत्थर और ईंटें फेंकनी शुरू कर दीं, जिसके बाद पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा. अधिकारियों के अनुसार, दो उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए.
शिवसागर विधायक और रायजोर दल के नेता अखिल गोगोई भी घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. अभियान को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए गोगोई ने कहा, यह अल्पसंख्यकों को धमकाने के अलावा और कुछ नहीं है. मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.
जमीन पर किनका है कब्जा?
धुबरी जिले में 3,500 बीघा सरकारी खास भूमि पर मुख्य रूप से बंगाली भाषी मुसलमानों का कब्जा है. जिला प्रशासन का अनुमान है कि इस पर लगभग 1,700 इमारतें बनी हुई हैं, जहां 1,400 परिवार रहते हैं.
धुबरी के DC दिबाकर नाथ ने कहा, यह सरकारी खास जमीन है जिसे एपीडीसीएल (असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) को थर्मल पावर प्लांट के लिए आवंटित किया गया है और वे ही इस परियोजना के लिए निविदा जारी करेंगे.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पिछले महीने इन जगहों का दौरा किया था और घोषणा की थी कि यह जमीन प्रस्तावित 3,200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट के लिए चिह्नित की गई है, जिसके लिए राज्य सरकार अडानी समूह के साथ बातचीत कर रही है. इस साल अप्रैल में सरमा ने गुवाहाटी में जीत अडानी से मुलाकात की थी ताकि असम में अडानी की प्रमुख परियोजनाओं को अंतिम रूप दिया जा सके, जिसमें एक थर्मल वाप प्लांट भी शामिल है.
2300 से ज्यादा परिवार विस्थापित
पिछले महीने असम सरकार द्वारा चलाया गया यह चौथा ऐसा अभियान है, जिसमें ग्वालपाड़ा, नलबाड़ी और लखीमपुर शामिल थे. कुल मिलाकर 2,300 से ज़्यादा परिवार विस्थापित हुए हैं. जाकिर हुसैन (39) चारुआबकरा के उन गिने-चुने निवासियों में से एक हैं जो अभियान के दौरान अपने घर में ही रहे हैं.
उन्होंने कहा, चूंकि हमारे पास गांव में ज़मीन का पट्टा (भूमि अधिकार) है, इसलिए अधिकारी ने हमें बताया कि हमें कहीं और ज़मीन दी जाएगी. इसलिए हम डटे हुए हैं और यह जानने का इंतजार कर रहे हैं कि हमें कहां जमीन दी जाएगी. हमें 15 जुलाई तक वहां से जाने का समय दिया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि उनका परिवार लगभग 40 साल पहले नदी के कटाव के कारण धुबरी में एक जगह से विस्थापित होकर गांव में आया था. उनका परिवार जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित 197 पट्टादारों में से एक है, जो इन गांवों में रहते हैं. डीसी नाथ ने कहा कि इन लोगों के मामले में जमीन अधिग्रहण किया जाएगा और उन्हें जमीन या पैसा दिया जाएगा. बाकी अतिक्रमणकारी हैं. उन्हें प्रति परिवार 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि दी गई है, जो ज़्यादातर उनके परिवहन में मदद के लिए है. हमने बैजर अलगा गांव में 300 बीघा जमीन आवंटित की है, जहां भूमिहीन हो जाने वाले लोग जाकर कब्ज़ा कर सकते हैं.
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