Swiggy Vs Zomato: देश में फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स इन दोनों सेक्टर में स्विगी और जोमैटो सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी हैं. जोमैटो का आईपीओ आए करीब 3 साल हो चुके हैं, जबकि स्विगी 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का आईपीओ लाने के लिए तैयार है. ऐसे में अगर आप निवेश करने का प्लान कर रहे हैं,


भारत में फूड डिलीवरी बिजनेस में स्विगी और जोमैटो पहले से प्रतिद्वंद्वी थीं. इसके बाद स्विगी ने ‘Instamart’ और जोमैटो ने ‘BlinkIt’ सर्विस शुरू की और फिर दोनों कंपनी क्विक कॉमर्स डिलीवरी सेगमेंट में भी एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी बन गईं. अब जब स्विगी अपना 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का आईपीओ लेकर शेयर बाजार में दस्तक देने जा रही है, तब ये जानना बेहद जरूरी है कि वह अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कंपनी जोमैटो के मुकाबले आज कहां खड़ी है. जोमैटो को अपना आईपीओ लाए करीब 3 साल हो चुके हैं.

अगर मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से देखें तो जोमैटो का वैल्यूएशन आज की तारीख 2.45 लाख करोड़ रुपए है. जबकि स्विगी आईपीओ के जरिए 84,000 करोड़ रुपए से लेकर 1.09 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन की उम्मीद कर रही है. ऐसे में स्विगी अभी ही जोमैटो से करीब 55 से 65 प्रतिशत छोटी कंपनी है.

क्या कहते हैं कमाई के आंकड़े?

जोमैटो और स्विगी दोनों में ही निवेश करने वाले निवेशकों के लिए आज की तारीख में फूड डिलीवरी से ज्यादा फ्यूचरिस्टिक बिजनेस क्विक कॉमर्स डिलीवरी का है. इस सेगमेंट में जेप्टो के अलावा टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज भी बड़ा दांव लगा ही रही हैं. अगर जोमैटो और स्विगी के इन दोनों बिजनेस से कमाई के आंकड़ों को देखें, तो हमें दोनों के फंडामेंटल्स समझ आएंगे.

ग्रोथ एंड बिजनेस साइज : वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आंकड़ों के मुताबिक फूड डिलीवरी सेगमेंट में स्विगी,जोमैटो के मुकाबले 23 प्रतिशत छोटी है. जबकि क्विक कॉमर्स सेगमेंट में स्विगी का साइज जोमैटो के मुकाबले 57 प्रतिशत कम है.

अगर इन दोनों ही बिजनेस की ग्रोथ को देखें, तो फूड डिलीवरी बिजनसे में स्विगी की ग्रोथ 14 प्रतिशत है. वहीं जोमैटो की 27 प्रतिशत ग्रोथ ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू में है. जबकि क्विक कॉमर्स सेगमेंट में ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू के आधार पर स्विगी की ग्रोथ 56 प्रतिशत रही है. वहीं जोमैटो की ग्रोथ 130 प्रतिशत रही है.

कमाई का हिसाब : अगर दोनों कंपनी की कमाई की तुलना करें, तो ईटी की एक खबर के मुताबिक फूड डिलिवरी बिजनेस से स्विगी का ग्रॉस रेवेन्यू 1,730 करोड़ रुपए रहा है.जबकि जोमैटो का रेवेन्यू 2,256 करोड़ रुपए रहा है. इसी तरह क्विक कॉमर्स से स्विगी का रेवेन्यू 403 करोड़ रुपए और जोमैटो का 942 करोड़ रुपए.

दोनों कंपनियों का ग्रॉस रेवेन्यू देखें, तो स्विगी का रेवेन्यू इस दौरान 3,477 करोड़ रुपए और जोमैटो का रेवेन्यू 4,520 करोड़ रुपए रहा है. प्रॉफिट के मामले में भी जोमैटो का फूड डिलीवरी बिजनेस स्विगी के मुकाबले 5.4 गुना प्रॉफिट जेनरेट करता है.जबकि क्विक कॉमर्स बिजनेस में वह ब्रेक ईवन पॉइंट पर पहुंचने वाला है. वहीं स्विगी को इसमें लॉस हो रहा है.

आईपीओ के पैसे का क्या करेगी स्विगी?

स्विगी के आईपीओ में सिर्फ 3,750 करोड़ रुपए के ही नए शेयर जारी होने हैं. बाकी कंपनी के मौजूदा शेयर होल्डर्स अपने शेयर बेचकर कंपनी से एग्जिट लेने की तैयारी कर रहे हैं. इस तरह कंपनी को ग्रोथ के लिए बस 3,750 करोड़ रुपए ही मिलने वाले हैं. इस पैसे में से कंपनी ने 1,120 करोड़ रुपए से क्विक कॉमर्स के लिए डार्क स्टोर खोलने का प्लान बनाया है. वहीं 930 करोड़ रुपए ब्रांड प्रमोशन और मार्केटिंग के लिए रखे हैं. बाकी 1,701 करोड़ रुपए कॉरपोरेट एक्सपेंस के लिए हैं.

इस पूरी जानकारी को जानने के बाद आप स्विगी के आईपीओ में निवेश करने की प्लानिंग कर सकते हैं. शेयर बाजार में जोखिम बरकरार रहता है

 

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