हिजबुल्लाह पर इजराइल का डबल अटैक, नसरल्लाह का एक और करीबी कमांडर ढेर
पिछले एक साल में चल रही जंग में पिछले 10 दिनों में इजराइल ने बाजी पलट दी है. इजराइल ने अपने सबसे बड़े दुश्मन ईरान के सबसे बड़े गुर्गे
क्या आपको पता है कि कुछ मुख्य रसायन जो भय में योगदान करते हैं, वे अन्य सकारात्मक भावनाओं, जैसे खुशी और उत्साह में भी शामिल होते हैं। लेकिन उत्साह और डर महसूस कराने वाली भावनाएं तो अलग-अलग महसूस कराती हैं।
क्या आपको पता है कि कुछ मुख्य रसायन जो भय में योगदान करते हैं, वे अन्य सकारात्मक भावनाओं, जैसे खुशी और उत्साह में भी शामिल होते हैं। लेकिन उत्साह और डर महसूस कराने वाली भावनाएं तो अलग-अलग महसूस कराती हैं।
दरअसल, इन दोनों ही भावनाओं में हम उत्तेजित महसूस करते हैं, लेकिन जब हमारे दिमाग का तार्किक हिस्सा हमें आश्वस्त करता है, तब हम सुरक्षित महसूस करते हैं। जैसे, जब आप किसी मेले में टिकट लेकर भुतहा घर में प्रवेश करते हैं, तो आप पहले से जान रहे होते हैं कि कोई खतरा नहीं है। इसके विपरीत, यदि आप रात में अंधेरी गली में चलते हैं और कोई अजनबी पीछा करना शुरू कर देता है, तो आपका मस्तिष्क बताता है कि स्थिति खतरनाक है, और भागने का समय आ गया है! डर की भावना की शुरुआत दिमाग के जिस हिस्से से होती है, उसे एमिग्डाला कहा जाता है। जब भी कोई भयावह विचार मन में आता है, तब यही एमिग्डाला सक्रिय हो जाता है। इससे शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जो हमें खतरे का सामना करने के लिए तैयार करते हैं, मसलन, मस्तिष्क अत्यधिक सतर्क हो जाता है, पुतलियां फैल जाती हैं, सांस लेने की गति बढ़ जाती है, हृदय गति व रक्तचाप बढ़ जाता है और मांसपेशियों में रक्त व ग्लूकोज का प्रवाह बढ़ जाता है। दिमाग का एक दूसरा हिस्सा, जिसे हिप्पोकैम्पस कहा जाता है, एमिग्डाला से बहुत करीब से जुड़ा होता है।
हिप्पोकैम्पस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स मस्तिष्क को कथित खतरे को समझने में मदद करते हैं, जो किसी व्यक्ति को यह जानने में मदद करता है कि क्या कथित खतरा वास्तविक है। उदाहरण के लिए, जंगल में शेर को देखना भय उत्पन्न कर सकता है, लेकिन चिड़ियाघर में उसी शेर को देखने पर जिज्ञासा और प्यार की भावना पैदा होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सोचने वाला मस्तिष्क भावनात्मक क्षेत्रों को आश्वस्त करता है कि हम वास्तव में ठीक हैं।
दरअसल, इन दोनों ही भावनाओं में हम उत्तेजित महसूस करते हैं, लेकिन जब हमारे दिमाग का तार्किक हिस्सा हमें आश्वस्त करता है, तब हम सुरक्षित महसूस करते हैं। जैसे, जब आप किसी मेले में टिकट लेकर भुतहा घर में प्रवेश करते हैं, तो आप पहले से जान रहे होते हैं कि कोई खतरा नहीं है। इसके विपरीत, यदि आप रात में अंधेरी गली में चलते हैं और कोई अजनबी पीछा करना शुरू कर देता है, तो आपका मस्तिष्क बताता है कि स्थिति खतरनाक है, और भागने का समय आ गया है! डर की भावना की शुरुआत दिमाग के जिस हिस्से से होती है, उसे एमिग्डाला कहा जाता है। जब भी कोई भयावह विचार मन में आता है, तब यही एमिग्डाला सक्रिय हो जाता है। इससे शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जो हमें खतरे का सामना करने के लिए तैयार करते हैं, मसलन, मस्तिष्क अत्यधिक सतर्क हो जाता है, पुतलियां फैल जाती हैं, सांस लेने की गति बढ़ जाती है, हृदय गति व रक्तचाप बढ़ जाता है और मांसपेशियों में रक्त व ग्लूकोज का प्रवाह बढ़ जाता है। दिमाग का एक दूसरा हिस्सा, जिसे हिप्पोकैम्पस कहा जाता है, एमिग्डाला से बहुत करीब से जुड़ा होता है।
हिप्पोकैम्पस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स मस्तिष्क को कथित खतरे को समझने में मदद करते हैं, जो किसी व्यक्ति को यह जानने में मदद करता है कि क्या कथित खतरा वास्तविक है। उदाहरण के लिए, जंगल में शेर को देखना भय उत्पन्न कर सकता है, लेकिन चिड़ियाघर में उसी शेर को देखने पर जिज्ञासा और प्यार की भावना पैदा होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सोचने वाला मस्तिष्क भावनात्मक क्षेत्रों को आश्वस्त करता है कि हम वास्तव में ठीक हैं।
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