अगर आप भी नियमित अंतराल पर नौकरी बदलते हैं तो आपको यह खबर ध्यान से पढ़नी चाहिए। पीएफ अकाउंट खुलने के बाद जो UAN नंबर मिलता है उसे आपको अपनी हर नौकरी के साथ मर्ज करना चाहिए नहीं तो आपको भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


 कि परिवर्तन संसार का नियम है। हर इंसान अपनी जिंदगी में तरक्की करना चाहता है। नौकरीपेशा लोग अपनी तरक्की के लिए समय-समय पर नौकरी बदलते रहते हैं। कंपनियां अपने कर्मचारी के भविष्य निधि फंड में कर्मचारी के पैसे के अलावा अपनी तरफ से भी कुछ पैसे जमा करती है।

अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो समय-समय पर अपनी नौकरी बदलते हैं तो आपके पीएफ अकाउंट से संबंधित एक महत्वपूर्ण खबर है, जिसे जानना आपके लिए जरूरी है नहीं तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कब खुलता है पीएफ अकाउंट

जब भी आप किसी नई नौकरी को ज्वाइन करते हैं तो कंपनी आपसे आपका यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) नंबर मांगती है। अगर आप वैसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पहले भी किसी दूसरे कंपनी में नौकरी की है तो आपको वही नंबर लिखता होता है। अगर आप पहली बार नौकरी करने जा रहे हैं तो वो कंपनी ही आपका पीएफ अकाउंट खुलवाएगी, जिसमें आप काम कर रहे हैं।

यह अकाउंट ईपीएफओ में खुलता है जिसके बाद आपको UAN नंबर दिया जाता है। इसी नंबर के जरिए  जीवनभर जब तक आपकी नौकरी रहेगी, तब तक आपका पीएफ जमा होता रहेगा और UAN नंबर वही रहेगा।

पीएफ अकाउंट से पैसे निकालने पर कितना देना होगा टैक्स

पीएफ नियमों के मुताबिक, अगर आपने किसी कंपनी के लिए पांच साल काम किया है और आपका पीएफ 50 हजार रुपये से कम है और आपको अपना पीएफ का पैसा निकालना है तो इसके लिए आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होता है। वहीं अगर रकम 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो फिर आपको 10 प्रतिशत का टीडीएस के रूप में देना होगा।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 10 प्रतिशत का टैक्स केवल उस स्थिति में कटता है, जब आप उस कंपनी के लिए पांच साल से कम नौकरी करते हैं। वहीं, आपने उस कंपनी के लिए पांच साल नौकरी कर ली है और उसके बाद पैसे निकालना चाहते हैं तो उस स्थिति में आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है।

पीएफ खाते को मर्ज करने के फायदे

अगर आप अपने पीएफ खाते को एक ही रखते हैं तो UAN नंबर आपके वर्क एक्सपीरियंस को भी आपस में मर्ज कर देता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने चार कंपनियों में 3-3 साल तक काम किया है और अगर अपना पीएफ नंबर एक ही रखा है तो आपका कुल वर्क एक्सपीरियंस 12 साल का माना जाएगा।

अगर आपने पीएफ नंबर को मर्ज नहीं किया तो आपका वर्क एक्सपीरियंस 12 साल के जगह 3 साल का ही माना जाएगा और उसके बाद अगर आप पैसे निकालते हैं तो आपको 10 फीसदी टैक्स देना पड़ सकता है।

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