प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, और गृह सचिव को न्यायालय में हाजिर होने की चुनौती देगा 


प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्यसचिव, पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव की अनदेखी।

पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों की ताना शाही 
के खिलाफ एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन जायेगा न्यायालय की शरण में।

पत्रकार अब अपनी सुरक्षा के लिए न्यायलय की शरण लेगा

प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, और गृह सचिव को न्यायालय में हाजिर होने की चुनौती देगा 

भोपाल, पिछले कई वर्षों से एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग कर रहा है।

 परन्तु बही ढाक के तीन पात।

    अधिकारी नहीं चाहता कि पत्रकार सुरक्षा कानून बनें और लागू हो।कारण मेरी नज़र में साफ है जब मध्यप्रदेश सरकार के गृह मंत्रालय के द्वारा 2010 जनवरी में एक आदेश जारी किया गया है कि पत्रकार पर किसी की शिकायत पर पुलिस प्रकरण दर्ज करता है तो सबसे पहले आई पी सी की धारा 154 में प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए फिर उस प्रकरण की निष्पक्ष जांच पुलिस अधीक्षक अथवा डी आई जी के द्वारा होना चाहिए।
       परन्तु गृह मंत्रालय के आदेश को पुलिस विभाग के कर्मचारीयों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया है और पालन करने से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
इस आदेश को लागू करने के लिए प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल को एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा के नेतृत्व में पत्र दिया था, पत्रकारों का दुर्भाग्य है कि किसी भी समाचार पत्र ने इस महत्वपूर्ण समाचार को स्थान नहीं दिया, समाचार को प्रकाशित न करते हुए पत्रकारों ने ही अपना नुकसान किया हो सकता है कि कभी उनके साथ ऐसी घटना घट जाय हां इससे यह स्पष्ट होता है कि पत्रकार ही पत्रकार का दुश्मन है खैर ?
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव को अनेक पत्र लिखकर मांग की गई थी कि गृह मंत्रालय के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
एक कहावत याद आ गई,भैंस के आगे वीन बजाओ भैंस खड़ी -**
और यह कहावत चरितार्थ हो रही है। पुलिस विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है आदेश की अवहेलना करना उनका शगल बन गया है।
            खास बात
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की कोर कमेटी की बैठक एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा के नेतृत्व में हुई और उसमें यह निर्णय लिया गया है कि अब न्यायालय में ही आमना सामना किया जाना चाहिए । न्यायाधीश महोदय से मांग की जायेगी कि उनके द्वारा सरकार को आदेशित करे कि गृह मंत्रालय के आदेश का अक्षरशह पालन किया जाए और जो पुलिस कर्मचारी या अधिकारी पालन नहीं करते हैं तो उन्हें सेवा से पृथक किया जाना चाहिए अथवा लाइन अटैच करना चाहिए।
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के पास कुछ पत्रकारों के प्रकरण है जिनमें दुर्भावनावश झुठी शिकायत पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किए जो वर्षों तक न्यायलय में चले तब तक उस पत्रकार को माननीय प्रताड़ना का सामना करना पड़ा इतना ही नहीं उसके परिवार को भी यातना भोगनी पड़ी और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
    अब लकीर के फकीर जनसंपर्क विभाग की कहानी बड़ी अजीब है। पत्रकार पर थाने में एफआईआर दर्ज होने की शिकायत किसी दुश्मन साथी पत्रकार ने जनसंपर्क विभाग को सूचना दे दी विभाग के अधिकारियों ने उक्त पत्रकार की अधिमान्यता निरस्त कर दी, अधिकारियों का कहना है कि नियम से वंधे है।
इस नियम को भी न्यायालय में चुनौती दी जायेगी।
     अंत में
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने सभी जिला इकाई के अध्यक्ष, संभागीय इकाई के अध्यक्ष, प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पदाधिकारीयों को निर्देश दिया है कि उनके क्षेत्र में रहने वाले उन पत्रकारों के प्रकरण समय सीमा में एकत्रित कर मुख्यालय भोपाल भेजें जिससे शीघ्र ही प्रकरण न्यायालय ने दाखिल किया जा सके और प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव को न्यायालय में बुलाकर पूछा जाए कि इस तरह के नियम क्यों बनाएं जिनका पालन नहीं होता है ‌।
5 अक्टूबर 2022 को पोस्ट किया गया था परन्तु एक भी सदस्य ने जबाव नहीं दिया मतलब क्या समझूं।
पुनः पढ़ने के लिए, पत्रकार यूनियन एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन पत्रकारों के हित की आवाज उठाती हैं।
मेरा मित्रों से विनम्र निवेदन है कि अहम को त्यागकर यदि कोई साथी प्रताड़ित हो रहा है तो अवश्य सम्पर्क करें।
राधावल्लभ शारदा
प्रदेश अध्यक्ष
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन

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