काहे सड़क ना बनावत


'काहे सड़क ना बनावत'

(बघौली प्रतापनगर मार्ग की खस्ताहाली पर मौलिक रचना)

ए हो योगी मोदी काहे, सड़क ना बनावत।
पौराणिक स्थल जाने को, रास्ता खराब है।
झटकी झटका बहुतैं लागैं, पेटु पिरात है। 
दईजे गाड़ी खस्ता हुइगी, सही मा बतावत।
ए हो योगी मोदी काहे सड़क ना बनावत।।

लरिकन केरे देखुआ, सड़क ते घबड़ाई।
मझवा इलाके लरिका, ब्याहन न बताई।।
धंधा चौपट अइसो, वैसो गहकी न आवत।
ए हो योगी मोदी काहे सड़क ना बनावत।।

पीएम सीएम सालन तेरे, रोड ना बनायउ।
साढ़े बीस किमी की दूरी, तई ना कर पायउ।।
तीर्थ वर नैमिष विख्याता, मट्टी मा मिलावत।
ए हो योगी मोदी काहे, सड़क ना बनावत।।

बारंबार बजट  की बातें, सुनिके सब बिल्लाने।
फोर लेन टू लेन बतकही, सुनि सुनि खिसियाने। 
देरी का है यहिमा कोई, ना बतावत।
ए हो योगी मोदी काहे, सड़क ना बनावत।।

भूंखे प्यासे लाइन मा लगि, वोट देहेन तोहिका।
'परदेशी' लहरा देइ रहे हों, नेताजी अब मोहिका।।
काहे सांसद विधायक केरी धोइया करावत।
ए हो योगी मोदी काहे सड़क ना बनावत।।

रचना :- 
सुधीर अवस्थी परदेशी हरदोई 

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