बांग्लादेश में गहराता राजनीतिक संकट मोहम्मद यूनुस की सरकार को पतन के कगार पर ला खड़ा किया है. सेना प्रमुख ने यूनुस को चुनाव कराने की चेतावनी दी है, जबकि अल्पसंख्यकों पर हिंसा और अन्य मुद्दों ने उन्हें घेर रखा है. यूनुस के इस्तीफे की चर्चाएं भी हैं.


बांग्लादेश में सियासी संकट गहराने लग गया है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार किसी भी वक्त गिर सकती है और सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. यही नहीं, बांग्लादेश के संकट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कथित तौर पर यूनुस को सीधी चेतावनी दे दी है. ये चेतावनी दिसंबर तक राष्ट्रीय चुनाव करवाने की है. इसके अलावा मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यक के खिलाफ हिंसा समेत तमाम मसलों पर चौतरफा घिरते जा रहे हैं. ये सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के महज 3 महीने के बाद हो रहा है.

 

बांग्लादेश में जब से सत्ता का तख्तापलट हुआ है तब से मोहम्मद यूनुस भारत के खिलाफ साजिशें रचने की कोशिश में जुटे हुए हैं. यही नहीं, देश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा पर भी उन्होंने अंकुश नहीं लगाया, जिसका भारत ने कड़ा विरोध जताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अमेरिका की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेश के हालातों पर चिंता जाहिर की थी, जिसके बाद ट्रंप ने भारत को खुली छूट दे दी और तीन महीने के भीतर ही बांग्लादेश की यूनुस सरकार घुटने टेकने पर मजबूर हो रही है.

पीएम मोदी इस साल फरवरी में अमेरिका के नए राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करने पहुंचे थे. इस दौरान द्विपक्षीय बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश संकट में अमेरिका के किसी भी हस्तक्षेप को खारिज कर दिया था. बैठक के बाद ब्रीफिंग के दौरान पत्रकारों ने इस मसले पर सवाल पूछा थी कि बांग्लादेश में चल रही स्थिति पर अमेरिका की क्या भूमिका है? इस पर ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा था, ‘हमारे डीप स्टेट की कोई भूमिका नहीं है. यह कुछ ऐसा है जिस पर प्रधानमंत्री लंबे समय से काम कर रहे हैं और सैकड़ों सालों से काम कर रहे हैं. मैं इसके बारे में पढ़ रहा हूं. मैं बांग्लादेश को पीएम पर छोड़ता हूं.’

 

यूनुस के इस्तीफे की बात कहां से आई?

अब ये समझते हैं कि यूनुस के इस्तीफे की बात कैसे सामने आई? दरअसल, बीबीसी बांग्ला सर्विस से छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी सीपी पार्टी के प्रमुख निद इस्लाम ने कहा, ‘हम आज सुबह यानी 22 मई से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया. उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं. उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वह काम नहीं कर सकते. जब तक राजनीतिक दल एक आम सहमति पर नहीं पहुंच जाते, मैं काम नहीं कर पाऊंगा.’

इस्लाम का कहना है कि मुख्य सलाहकार यूनुस से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राजनीतिक दल एकजुट होकर उनके साथ सहयोग करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि हर कोई उनके साथ सहयोग करेगा. हालांकि, एनसीपी नेता ने ये भी कहा कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके रहने का कोई मतलब नहीं है.

सेना ने क्या दिया यूनुस को क्लियर मैसेज

तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता की गद्दी से बेदखल करवाने में सेना की भी बड़ी भूमिका रही है. अब इसी सेना से यूनुस सरकार को भी बड़ी चेतावनी मिल रही है. ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कहा, ‘बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो संप्रभुता के लिए हानिकारक हो. न ही किसी को ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी. किसी भी कार्रवाई में राष्ट्रीय हित सबसे पहले आना चाहिए, जो कुछ भी किया जाए, वह राजनीतिक सहमति से गाइडेड होना चाहिए.’ सेना प्रमुख का यूनुस को मैसेज साफ है कि वो अपनी मनमानी नहीं कर सकते हैं.

पिछले साल अगस्त में हसीना देश छोड़कर भागीं

पिछले साल अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं. बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, जिसके चलते द्विपक्षीय संबंधों लगातार खटास बढ़ती गई. दरअसल, बांग्लादेश में अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने कई हफ्तों तक चले विरोध और हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया. इस आंदोलन में 600 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. 76 वर्षीय हसीना भारत भाग आईं और उसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया.

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