Diwali 2024: प्रकाश पर्व दिवाली पर हर घर रोशन हो, सबकी दहलीज पर खुशियों की दस्तक हो, इसके लिए सामूहिक सहभागिता जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि हम परंपरागत मिट्टी के दीये खरीदें और जलाएं। इससे कुम्हारों के घर भी रोशन होंगे। वह भी हमारे साथ खुशी से त्योहार मना सकेंगे।


परंपरा पर हावी होती आधुनिकता की वजह से कुम्हारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बढ़ती लागत, मांग में कमी की वजह से कुम्हारों की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। युवा अपने पारंपरिक पेशे से मुंह मोड़ने लगे हैं। झालरों और डिजाइनर दीयों के बढ़ते चलन की वजह से मिट्टी के पारंपरिक दीयों की मांग कम हो गई है। हालांकि, धार्मिक महत्व होने के कारण ये आज भी प्रासंगिक हैं। इतना जरूर है कि इन दीयों की रोशनी इन्हें बनाने वाले कुम्हारों के घर तक नहीं पहुंच पा रही। 


लागत बढ़ी, मुनाफा कम 
बरेली में दीपावली के लिए दीये तैयार कर रहे कैंट निवासी रघुवीर प्रजापति बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है। पिता हरद्वारी लाल और बाबा मोतीराम भी दीये बनाते थे। वह दीये बनाने के लिए मिट्टी बिथरी चैनपुर से मंगवाते हैं। दीयों को पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी, उपले भी महंगे हो गए हैं। रंगों का भाव भी आसमान छू रहा है। इससे दीयों की लागत बढ़ गई है, मुनाफा कम हो गया है। 


रघुवीर बताते हैं कि उन्होंने समय के साथ बदलाव किया है। ग्राहकों की मांग के अनुरूप अब वह भी डिजाइनर दीये बनाने लगे हैं। उनके मुताबिक, अब ग्राहक डिजाइनर दीयों की मांग करते हैं। हालांकि, इनकी बिक्री सीमित होती है। ज्यादा बिक्री परंपरागत दीयों की ही होती है।

Light soil lamps on this Diwali potters houses will be illuminated

टूटे घर में कब कदम रखेंगी खुशियां 
कैंट के कुम्हारन टोला निवासी अमित प्रजापति ने बताया कि उन्होंने पांच साल पहले दीये बनाने के काम में पिता जयराम प्रजापति का हाथ बंटाना शुरू किया था। अमित के परिवार में चार सदस्य हैं। परिवार इसी पुश्तैनी काम पर निर्भर है, लेकिन अब दीयों की मांग कम होने से घर की जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रहीं। जर्जर मकान की मरम्मत नहीं करा पा रहे। 

Light soil lamps on this Diwali potters houses will be illuminated

अमित बताते हैं कि कुछ साल पहले तक वह 20 हजार दीये तैयार करते थे। अब 10-12 हजार ही बनाते हैं। अमित दीये बनाने के साथ आईटीआई भी कर रहे हैं। अमित जैसे कितने कुंभकारों के घरों में मिट्टी के चाक घूम तो रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदें हमारी-आपकी खरीदारी पर टिकी हैं। 

दीयों का धार्मिक महत्व 
ज्योतिषाचार्य पंडित नत्थूलाल शर्मा बताते हैं कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिस घर में सुबह-शाम दीये जलाए जाते हैं, वहां भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है। मिट्टी के दीपक घर में सुख-समृद्धि लाते हैं।

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Instagram Twitter पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Related Tags:

 

Leave a Comment:

महत्वपूर्ण सूचना -

भारत सरकार की नई आईटी पॉलिसी के तहत किसी भी विषय/ व्यक्ति विशेष, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की टिप्पणी पर कानूनी कार्रवाई (सजा या अर्थदंड अथवा दोनों) का प्रावधान है। अत: इस फोरम में भेजे गए किसी भी टिप्पणी की जिम्मेदारी पूर्णत: लेखक की होगी।