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अपने जीवन और अपनी खुशियों का नियंत्रण एआई को सौंपने की बात कितना बड़ा फैसला हो सकता है ये किसी के भी लिए?
अनन्या पांडे हिंदी सिनेमा का चर्चित चेहरा हैं। वह नई पीढ़ी की नुमाइंदगी करती हैं और अपनी साफगोई से हैरान करती हैं। सौंदर्य उत्पादों के प्रचार, स्टार किड होने के नफा- नुकसान और एआई पर बनी नई फिल्म ‘कंट्रोल’ पर अनन्या पांडे से ये बातचीत की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।
अपने जीवन और अपनी खुशियों का नियंत्रण एआई को सौंपने की बात कितना बड़ा फैसला हो सकता है ये किसी के भी लिए?
बहुत बड़ा फैसला है, लेकिन मुझे लगता है कि लोगों को अभी ये समझ ही नहीं आ रहा है। हम अनजाने में पता नहीं किसको अपनी चीजों का नियंत्रण सौंपते जा रहे हैं। किसी भी वेबसाइट पर जाते हैं। सारे ऑप्शन्स टिक कर देते हैं। सोशल मीडिया पर लॉग इन करते हैं तो वह हमारे फोन के माइक, कैमरे, कॉन्टैक्ट लिस्ट, हर चीज तक पहुंच जाते हैं। हम सब बस ओके करते जा रहे हैं और हम जानते भी नहीं है कि हम कितना कंट्रोल दूसरों को दे रहे हैं और हमें ये भी पता नहीं हम किसको दे रहे हैं ये कंट्रोल!
निजी जीवन में आपका एआई से सामना या परिचय पहली बार कब हुआ?
जब फिल्म ‘कंट्रोल’ मुझे ऑफर हुई थी। ये कोरोना संक्रमण काल के समय की बात है और उस समय ये एक बहुत ही नया विचार था कि एआई जैसा कुछ आने वाला है। इस तकनीक से क्या-क्या हो सकता है ये तब पता चला जब हमने फिल्म की पटकथा कायदे से पढ़नी शुरू की। और, फिल्म जब मुझे मिली थी तब से लेकर अब तक जब फिल्म रिलीज होने जा रही है, इस पूरी तकनीक में बहुत बदलाव आ चुका है।
आपने अपने किसी काम को पूरा करने के लिए अब तक एआई की मदद ली है?
अभी मैं एक दिन अपना एक भाषण लिखने की कोशिश कर रही थी और किसी ने मुझे एआई की मदद लेने की सलाह दी। लेकिन, मैंने मना कर दिया और कहा कि मुझे खुद लिखना है। सच पूछें तो मैं एआई से बहुत डरी हुई हूं। मुझे ये और भी डरावना लगता है कि हमें पता ही नहीं होता कि हमारे आसपास जो दिख रहा है उसमें क्या असली है और क्या एआई से बना हुआ है? दोनों के बीच का फर्क जितना मिटता जा रहा है, ये सब उतना ही और डरावना होता जा रहा है।
आपने अब तक कैमरे के सामने जो कुछ भी किया है, वह सब डाटा अगर एआई में फीड कर दिया जाए तो बिना आपकी मौजूदगी के आपका नया किरदार गढ़ा जा सकता है। क्या मांगे जाने पर आपकी इसकी अनुमति देंगी?
मैं तो बिल्कुल नहीं दूंगी, इस बात की अनुमति। क्योंकि, अगर मैंने एक बार इसकी अनुमति दे दी तो फिर तो पता ही नहीं कि आगे जाकर उस डाटा से क्या क्या बन जाए? और, मेरे अभिनय का प्रयोग न जाने किन किन चीजों को रचने के लिए कर लिया जाए? तो किसी चीज का कंट्रोल दूसरों के हाथ में देने से पहले हमें पता होना चाहिए कि आगे चलकर आपके हाथ मे कुछ नहीं रहेगा।
फिल्म ‘कंट्रोल’ का किरदार एआई को पूरे जीवन की खुशियों का नियंत्रण सौंप रहा है..
मुझे लगता है कि ये जो फिल्म में मेरा किरदार है, वह किसी भी दूसरी सामान्य युवा जैसा ही है। उसको पता ही नहीं कि वह क्या गलत और क्या सही कर रहा है। हमें पता है कि इसमें लोचा है लेकिन हम भी कहां टर्म्स एंड कंडीशन्स पढ़ने बैठते हैं, बस एग्री पर क्लिक करके आगे बढ़ते जाते हैं। मैं फिल्म में एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का किरदार कर रही हूं।
और, एक ब्रांड के तौर आपका प्रभाव कितना व्यापक है? क्या आप अपने विज्ञापनों में ये कहती हैं कि ये प्रोडक्ट खरीदो तो मेरी जैसी बन सकती हो?
नहीं, यहां मैं अपने आपको लेकर बहुत निश्चित रहती हूं। जिस किसी भी ब्रांड के साथ मैं काम करती हूं उसकी विपणन नीति और प्रचार नीति में मेरा पूरा दखल रहता है। मेरे किसी भी विज्ञापन में ये लाइन नहीं हो सकती कि अनन्या पांडे की तरह बनो। मेरा कहना होता है कि आप जो हो वो बनो।
बतौर अभिनेत्री आपका अपने घर में कितना प्रभाव है, अपनी बहन या अपने चचेरे भाई पर जो यशराज फिल्म्स से जल्द ही लॉन्च होने वाले हैं?
मैं घर पर तो वैसी ही उछल कूद करने वाली बेटी हूं। मेरी छोटी बहन को अभिनय में दिलचस्पी नहीं हैं। भाई भी मेरा मुझसे उम्र में बड़ा है। हां, अभिनय के लिहाज से मैं उसकी सीनियर जरूर हो सकती हूं। मैं बस इस बात को लेकर सतर्क रहती हूं कि मुझे अपने घरवालों या अपने आप को नीचा दिखाने वाली कोई बात नहीं करनी है। मुझे एक बेटी के तौर पर अपनी जिम्मेदारी पता है। लेकिन बतौर कलाकार अब मैं और जिम्मेदारियां उठाने को तैयार हूं। अब मेरी बात सुनी जाती है। मेरी राय को लोग तवज्जो देते हैं।
एक स्टार किड होने के फायदे हैं कि नुकसान?
दोनों हैं। फायदा ये है कि लोग आपके बारे में जानना चाहते हैं। आपको ज्यादा से ज्यादा देखना चाहते हैं। आपके बारे में बातें करना चाहते हैं और नुकसान ये है कि आपके ऊपर हमेशा एक अलग किस्म का दबाव बना रहता है। अपने अभिभावकों के काम से तुलना का दबाव, हर बार सौ फीसदी रिजल्ट देने का दबाव। लेकिन, जीवन एक पैकेज डील है, इसमें सब कुछ आपके मन को नहीं ही हो सकता है।
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