साहब...हम रातभर पहरा देने के बाद दिन में आराम कर रहे थे। इस दौरान लगभग छह बजे कुछ लोगों ने गांव में भेड़िया को आते देखा और शोर मचाया। हम लोग भी लाठी-डंडा लेकर दौड़े तो भेड़िया भाग निकला। दिन के उजाले में भेड़िये के पहुंचने से दुश्वारी बढ़ गई है। अब हम रात में जागकर रखवाली करें कि दिन में ब


साहब...हम रातभर पहरा देने के बाद दिन में आराम कर रहे थे। इस दौरान लगभग छह बजे कुछ लोगों ने गांव में भेड़िया को आते देखा और शोर मचाया। हम लोग भी लाठी-डंडा लेकर दौड़े तो भेड़िया भाग निकला। दिन के उजाले में भेड़िये के पहुंचने से दुश्वारी बढ़ गई है। अब हम रात में जागकर रखवाली करें कि दिन में बच्चों को बचाएं। सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। यह बातें भेड़िये की दहशत में रहने वाले नव्वन गरेठी निवासी शैलेंद्र, सरवन, नीलेश, मकबूल ने बताई।

ग्रामीणों के अनुसार रविवार रात अंजली को निवाला बनाने के बाद से भेड़िया लगातार गांव में दस्तक दे रहा है। सोमवार रात तीन बार भेड़िया गांव में पहुंचा था। मंगलवार को दिन में भी पहुंचा। ग्रामीणों ने बताया कि भेड़िया के मुंह में मानव खून लग गया है। उसी कारण वह लगातार गांव में पहुंच रहा है। ग्रामीणों के अनुसार दोपहर एक बजे हिंदूपुरवा गांव में बांधे के किनारे बसे सखावत के घर भी भेड़िया पहुंचा। सभी पुरुष बाहर थे। घर में सिर्फ महिलाएं थीं। आंगन में भेड़िया को देख महिलाएं चीख पड़ीं। सखावत के पड़ोसी नन्हें ने बताया कि शोर सुनकर जब वे दौड़े तो भेड़िया भागा।

पूरे दिन ड्रोन से होती रही निगरानी
भेड़ियों की तलाश में बुधवार को पूरे दिन कांबिंग व ड्रोन से खेतों की सघन निगरानी जारी रही। सिसैया चूड़ामणि, कोलैला, औराही गांवों में वनकर्मी हाथों में लाठी-डंडा, जाल लेकर घूमते नजर आए। ड्रोन टीम भी खेतों में निगरानी करती रही। इस दौरान सफलता नहीं मिली।

Terror of wolf is increasing in Bahraich.

अब दिला दो निजात, काम छूटा फसल भी हो रही बर्बाद
शिवाजी अवस्थी/वाल्मीकि सिंह, खैरीघाट (बहराइच)। महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों की दहशत बढ़ती जा रही है। इसका सीधा असर किसानों व छोटे बच्चों पर पड़ रहा है। भेड़ियों के दहशत से किसान खेतों में फसल की रखवाली करने नहीं जा पा रहे हैं। इससे छुट्टा मवेशी उन्हें चट कर जा रहे हैं, वहीं ग्रामीण बच्चों को स्कूल भेजने से भी कतरा रहे हैं। आलम यह है कि शिक्षकों के जागरूक करने पर कुछ अभिभावक खुद बच्चों को छोड़ने जा रहे हैं और साथ वापस ला रहे हैं। बुधवार को भेड़िया प्रभावित सिसैय्या चूरामणि के प्राथमिक विद्यालय कोलैला का निरीक्षण किया गया, जहां कुछ बच्चे पढ़ते मिले। प्रधानाध्यापक राकेश कुमार खरे ने बताया कि विद्यालय मे 90 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन भेड़िये के डर से कम बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि काफी प्रयास के बाद अभिभावकों ने खुद बच्चों को स्कूल लाना शुरू किया है।

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ग्रामीण अपनी सुरक्षा के लिए डंडे लेकर घूम रहे हैं। 

कम जाते हैं खेत
नया पुरवा के सांवली प्रसाद का कहना है कि छुट्टा मवेशी फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन डर के मारे खेत नहीं जा पा रहे हैं। कई लोग इकट्ठा होने पर ही जाते हैं।

बूढ़े हो गए, आज तक नहीं देखा ऐसा मंजर
कोलैला के बरसाती का कहना है कि उम्र ढल रही है। गन्ने के खेतों में बहुत भेड़िया रहते हैं। लेकिन इतना खौफ कभी नहीं देखा था। खेती किसानी सब चौपट हो गई है।

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भेड़िए के हमले में घायलों का हाल जानते प्रभारी मंत्री डा. संजय निषाद।

रात में हो रही फसल चौपट
बग्गर के रामतेज यादव का कहना है कि भेड़ियों की दहशत से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। रात में मवेशी फसल चट कर रहे हैं, कोई खेत नहीं जा रहा। दो महीने से जीना मुहाल है।

जागने से खराब हो रही तबियत
सिसेया चूड़ामणि के हजारी आर्य का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चों को भेड़िया निशाना बना रहा है। रात में जागने से तबियत खराब हो रही है। खेत कोई नहीं जा पा रहा है।

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जिंदा रहेंगे तो फिर पढ़ लेंगे
थैलिया की रोली सिंह का कहना है कि भेड़िया छोटे बच्चों को निशाना बना रहा है। जिसके चलते बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। जिंदा रहेंगे तो फिर पढ़ लेंगे।

घर पर खुद पढ़ा रहे
नथुवापुर की शांति देवी का कहना है कि बच्चों को स्कूल न भेज कर खुद की घर पर पढ़ाते हैं। आतंक कम होने पर स्कूल भेजेंगे

 

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